पाकिस्तान ने बुधवार को कहा कि “कश्मीर के पुलवामा में हुए फियादीन हमले में इस्लामाबाद में पनाहगार आतंकियों से तार जुड़ने के प्रारंभिक निष्कर्ष हम भारत को सौंप चुके हैं। बम विस्फोट की जांच को आगे बढ़ाने के लिए उसे भारत से और सबूत चाहिए।”
कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले से दो दक्षिण एशियाई देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था। इस आतंकी हमले में 40 सैनिकों की मृत्यु हुई थी, जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तानी समर्थित आतंकी समूह जैश ए मोहम्मद ने ली थी।
पुलवामा आतंकी हमले में पाकिस्तान ने अपनी भूमिका से इंकार कर दिया था। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत से पर्याप्त विश्वनीय सबूत देने की गुजारिश की थी ताकि तफ्तीश में सहयोग कियाजा सके।
डॉन के मुताबिक पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि “पाकिस्तानी सरकार ने पुलवामा हमले पर भारतीय रिपोर्ट को खंगालने के बाद भारत सरकार के साथ प्रारंभिक सबूत साझा कर दिए हैं। इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए हमें भारत सरकार से और सबूतों की जरुरत है।”
इस सूचना को पाकिस्तान में नियुक्त भारतीय उच्चायुक्त को सौंपी गयी थी। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तानी सरकार से आतंकियों के खिलाफ विश्वनीय और प्रत्यक्ष कार्रवाई करने की मांग की थी। इसके बाद दोनों देशों के मध्य हवाई लड़ाई हुई थी। भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पीओके के बालाकोट में विस्फोट किया था।
हिंदुस्तान की आज़ादी के दौरान जम्मू कश्मीर रियासत के राजा हरि सिंह थे, जो एक हिन्दू थे जबकि कश्मीर की बहुसंख्यक आबादी मुस्लिम थी। शुरुआत में जम्मू कश्मीर एक स्वायत्त देश बनना चाहता था लेकिन ब्रटिश अधिकारी लार्ड माउंटबैटन ने इससे साफ़ इंकार कर दिया था और विकल्प दिया भारत या पाकिस्तान।
पाकिस्तान ने कश्मीर को हथियाने के लिए कबीले के लोगों से मुल्क में चढ़ाई करने को कहा और रियासत में काफी मारकाट हुई। इससे परेशान होकर हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर को भारत के साथ मिलाने के दस्तावेज “इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ अक्सेशन” पर हस्ताक्षर कर दिए। भारतीय फौज ने कई हिस्सों से लड़ाकों को खदेड़ दिया लेकिन कुछ भूभाग पाकिस्तान के हक़ में चला गया और तत्काल पाक ने वहां सरकार का गठन कर दिया। इस दौरान कश्मीर दो भागो में बंट गया भारत अधिकृत कश्मीर और पीओके। हालाँकि भारत समस्त जम्मू कश्मीर पर अपना दावा करता है।