जम्मू-कश्मीर में पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के मध्य संघर्ष की स्थितियों में इजाफा हुआ है। सिख समुदाय को भी है कि पुलवामा हमले का असर कही करतारपुर गलियारे के निर्माण तो नहीं होगा। कई जानकारों को लगता है कि इस आतंकी हमले का साया करतारपुर गलियारे की नींव को हिला सकता है।
भारत ने पाकिस्तान से ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का स्टेटस छीन लिया है, और अब सबकी निगाहें करतारपुर गलियारे पर टिकी है। पंजाबी प्रधानमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्र से दरख्वास्त की है कि पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए। राज्य को शंका है कि यदि ऐसा कदम उठाया गया तो निश्चित ही करतारपुर गलियारा प्रभावित होगा।
अमृतसर में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि “केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार सिख श्रद्धालुओं को करतारपुर साहिब गुरुद्वारा तक की यात्रा का मार्ग मुहैया करने के लिए प्रतिबद्ध है। हालंकि हमें इस मसले पर यथार्थवादी होने की जरुरत है। मैं इस पर कोई निर्णय नहीं सुनना चाहता हूँ। पाकिस्तान ने हमें वर्षों से नजरअंदाज किया है और आतंक को अपनी निति का हिस्सा माना है। यह मेरा और सरकार के विचार है कि यहां व्यापार मुमकिन नहीं है।”
केंद्रीय मंत्री ने बिना नाम लिए कहा कि, कई राजनेता पाकिस्तान की यात्रा पर जाते हैं और सेना अध्यक्ष को गले मिलते है, जिनको जरा भी अहसास नहीं होता कि वे लोग भारत मेंआतंकी हमलों को अंजाम देते हैं। उन्होंने कहा कि आतंवाद के साये में पाकिस्तान के साथ व्यापार संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि “उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था और इस बार भी सरकार को जरुरी कदम उठाने चाहिए। हमे पाकिस्तान की रणनीति पर यथार्थवादी होना चाहिए। एक तरफ वह करतारपुर गलियारे की बात करता है और दूसरी ओर भारत के खिलाफ आतंकी हमले का समर्थन करता है। आखिरकार कब तक ऐसा चलेगा ? जबकि अमरिंदर सिंह ने भी पाकिस्तान की सेना को चेतावनी दी थी।”
पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धि ने पाकिस्तान का बचाव करते हुए कहा कि “यह प्रोजेक्ट पूरा होगा। चंद लोगों के लिए क्या दो राष्ट्रों के मध्य शान्ति समझौते को बंद कर दिया जायेगा। एक घृणित कृत्य के लिए क्यों करतारपुर गलियारे की परियोजना बंद होगी।”