Thu. Oct 31st, 2024
    महारष्ट्र में दंगों के कारण हालात नाजुक

    पुणे में लगी जातीय हिंसा की आग अब पुरे महारष्ट्र में फैल चुकी है। मंगलवार को मुंबई के अलावा, हड़पसर व फुरसुंगी में भी बसों को निशाना बनाया गया। प्रदर्शनकारियों ने बसों पर पथराव किया जिसके कारण औरंगाबाद और अहमदनगर बस सेवा को रोकना पड़ा।

    राज्य में इस समय हालत नाजुक बने हुए है। दुकाने बंद हैं, सड़के सुनसान है और घरों में इस कदर डर का माहौल है कि दिन में भी लोग दरवाजों और खिड़कियों को बंद करने को मजबूर हैं।

    कुछ इस तरह भड़की जातीय हिंसा

    पुणे में जातीय हिंसा एक समारोह के समय भड़क गयी। यह समारोह भीमा युद्ध के याद में आयोजित किया गया था। जानकारी के अनुसार 1 जनवरी 1818 के दिन अंग्रेजों और पेशवा बाजीराव द्वितीय के बीच हुए युद्ध में दलित समाज के लोगों ने पेशवा के सेनिको को हरा दिया था। दलित सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज में बड़ी संख्या में भर्ती थे और अंग्रेजों की तरफ से लड़ रहें थे।

    आज इस घटना 200 साल पुरे हो चुके है जिसके उपलक्ष्य में कोरेगांव भीमा में कार्यक्रम का आयोजन हुआ था। कार्यक्रम कितना बड़ा था इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि समारोह में खुद महाराष्ट्र के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री गिरीश बापट, बीजेपी सांसद अमर साबले, डेप्युटी मेयर सिद्धार्थ डेंडे सहित बड़े नेता शामिल हुए थे।

    कोरेगांव में दलितों ने दिया था पेशवा के खिलाफ अंग्रेजों का साथ
    कोरेगांव में दलितों ने दिया था पेशवा के खिलाफ अंग्रेजों का साथ

    कार्यक्रम चल ही रहा था कि अचानक दूसरे समुदायों के लोगों ने वहां पहुंचकर करना शुरू कर दिया। विवाद बढ़ा तो दोनों तरफ से पथराव होने लगा कुछ ही देर में इस घटना ने बड़े दंगे का रूप ले लिया और पलक झपकते ही सड़कों पर जगह जगह आग के अंगारे दिखने लगे। गाड़ियों और दुकानों में भारी तोड़फोड़ की गयी और आग लगा दी गयी।

    अफवाहों का बाजार गर्म

    इन दंगों को भड़काने में अफवाहों का मुख्य योगदान रहा। पुणे में हुई छोटी सी घटना ने मात्र चौबीस घंटे के अंदर पुरे महारष्ट्र को अपने चपेट में ले लिया। एक ही दिन में यह घटना स्थानीय मीडिया से राष्ट्रीय मीडिया में आ गयी।

     दंगा को भड़काने में अफवाहों का रहा योगदान
    दंगा को भड़काने में अफवाहों का रहा योगदान

    अफवाहों पर ना ध्यान देने की अपील करते हुए मुंबई पुलिस के पीआरओ ने कहा है कि “कृपया अफवाहों पर ध्यान ना दे, और पुलिस का सहयोग करे। उन्होंने चेंबूर या दूसरे पूर्वी उपनगरीय इलाके में धारा 144 नहीं लगाए जाने जैसे किसी भी खबर का खंडन किया है।

    जातीय हिंसा सरकार को बदनाम करने की कोशिश

    महाराष्ट्र सरकार ने इस जातीय हिंसा को सरकार को बदनाम करने की कोशिश बताया है। सीएम देवेंद्र फडनवीस ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि मुश्किल की इस घड़ी में सबको साथ रहना चाहिए, हम स्थितियों पर नजर बनाए हुए है और दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा। सीएम ने कहा कि पीड़ितों को सरकार मदद देगी तथा दंगे में मरने वाले मृतिकों के परिवारजनों को 10 लाख का मुआवजा भी प्रदान करेगी।