बुधवार के दिन, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि वे “सबरीमाला” को अयोध्या नहीं बनने देंगे। जबसे सुप्रीम कोर्ट ने सितम्बर में हर उम्र की औरतों को “सबरीमाला मंदिर” में जाने की इज़ाज़त दी है तबसे ये विवाद उठता ही नज़र आ रहा है।
बुधवार को केरल की विधान सभा में, कांग्रेस के कुछ नेताओ ने प्लेकार्ड और बैनर की मदद से ये मांग की कि मंदिर के ऊपर दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उठा दिया जाये।
पूर्व देवसोम मंत्री वीएस शिवकुमार ने वामपंथी सरकार पर इलज़ाम लगाते हुए कहा था कि केरल सरकार और संघ परिवार मिलकर “सबरीमाला मंदिर” की मर्यादा को भ्रष्ट करना चाहते हैं। इसपर विजयन ने जवाब देते हुए कहा कि मंदिर के ऊपर लिए गए इस निषेधात्मक फैसले को अब वे नहीं हटा सकते हैं।
उनके मुताबिक, “हम सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानने के लिए बाध्य हैं, संघ परिवार के कांग्रेस के साथ मिलकर मंदिर में परेशानी खड़े करने के बाद भी। हम किसी भी हालत में सबरीमाला को अयोध्या नहीं बनने देंगे और इस निषेधात्मक फैसले को हटाने का सवाल ही पैदा नहीं होता। कांग्रेस इस सबरीमाला मुद्दे पर भी राजनीती करना चाहती है।”
विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथाला ने कहा कि अब यह साफ़ हो चूका है कि विजयना का सिर्फ एक ही मकसद है, कांग्रेस पार्टी को कमज़ोर करना और इसके लिए वो भाजपा और आरएसएस का पूरा पूरा समर्थन भी दे रही है।
उनके अनुसार, “जब पुलिस ने विरोधियो को नियंत्रित करने के लिए माइक आरएसएस के नेता वाल्सन थिलेंकेरी को दिया था तभी सब समझ आ गया था। विजयन उनकी तरह व्यवहार कर रहे हैं जिन्होंने टाइटैनिक बनाई थी और कहा था कि ये जहाज़ नहीं डूबेगा। मगर वे डूब गयी। विजयन को भी ऐसे अंत का सामना करना पड़ेगा। जिस तरीके से वे ‘सबरीमाला’ मुद्दे को संभल रहे हैं, श्रद्धालुओ को बहुत दर्द हो रहा है।”
जब विपक्ष के नेता स्पीकर पी.स्रीरामाकृष्णन पर आ धमके तो उन्होंने सभा को स्थगित कर दिया।