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आईएमएफ

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने बताया कि “पाकिस्तान कमजोर और अस्थिर वृद्धि के कारण सार्थक आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है और उनकी अर्थव्यवस्था एक एक बेहद महत्वपूर्ण मोड़ पर है जहाँ उसे अभिलाषा और नए सुधार तय करने की जरुरत है।

नकदी के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के समक्ष मौजूदा समय में मुद्रा संरक्षण 8 अरब डॉलर से भी कम है और यह सिर्फ 1.7 महीने के आयात को ही झेल सकता है। पाकिस्तान ने अगस्त 2018 में वांशिगटन में स्थित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की तरफ रुख किया था।

वैश्विक ऋणदाता ने बीते सप्ताह औपचारिक तौर पर पाकिस्तान के लिए 6 अरब डॉलर के कर्ज की अनुमति दे दी थी। आईएमएफ एग्जीक्यूटिव बोर्ड के पहले डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर एंड कार्यकारी अध्यक्ष डेविड लिप्टन ने कहा कि “कमजोर और असंतुलित वृद्धि और वित्तीय जरूरतों के कारण पाकिस्तान सार्थक आर्थिक चुनौतियों को झेल रहा है।”

बीते हफ्ते आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए साल 1980 से 13 वें बेलआउट पैकेज को मंज़ूरी दे दी हैं। 6 अरब डॉलर के पैकेज में एक अरब तत्काल दिए जायेंगे और बाकी तीन वर्षों के अंतराल में दिए जायेंगे। पाकिस्तान शुल्क का दायरा बढ़ाएगा और शुल्क रेवेन्यू में इजाफा करेगा, वो भी एक सटीक संतुलित और बराबरी के तरीके से होगा।

लिप्टन ने कहा कि “महत्वपूर्ण सामाजिक सहायता कार्यक्रमों से संसाधन में वृद्धि होगी, मसलन महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण और उच्च गरीबी वाले तबको पर निवेश करना। तत्काल पालिसी एक्शन के बिना वित्तीय और आर्थिक स्थिरता जोखिम में हैं और जनसँख्या के बढ़ने के कारण वृद्धि अनुमान जरुरत पर अपर्याप्त होगा।”

पाकिस्तान ने कई मित्र देशों से आर्थिक मदद ली है। इसमें चीन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और क़तर भी शामिल है। हाल ही में क़तर ने पाकिस्तान को निवेश के तौर पर 3 अरब डॉलर का पैकेज दिया था।

सऊदी अरब ने तीन अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज का ऐलान किया था और इसके आलावा 3.2 अरब डॉलर के रूप में तेल की कीमत में रियायत बरती थी। यूएई ने बेलआउट पैकेज के रूप में पाकिस्तान को दो अरब डॉलर मुहैया किये थे। चीन ने पाकिस्तान को 4.6 अरब डॉलर के रूप में डिपॉजिट और वाणिज्य कर्ज मुहैया किया था।

By कविता

कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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