पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान राष्ट्र को आर्थिक विपदा से उभारने के लिए अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष की शरण मे गए है। आईएमएफ से उन्होंने 9 बिलियन डॉलर आर्थिक मदद की गुहार लगाई है ताकि देश को इस संकट से मुक्त कर सके। हालांकि आईएमएफ और अमेरिका ने कर्ज का पूरा ब्यौरा मांगा है फिर चाहे वो चीन के सीपीईसी का ही क्यों न हो।
पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर आईएमएफ और विश्व बैंक की सालाना बैठक में शरीक होने इंडोनेशिया के बाली गए है।
गुरुवार को आईएमएफ के अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद आईएमएफ की निदेशक ने कहा कि इस बैठक के दौरान पाकिस्तानी मंत्री ने आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए हमसे आर्थिक मदद का आग्रह किया। उन्होंने कहा आईएमएफ की एक टीम सहायता की बातचीत के लिए जांच के लिए अगले हफ्ते पाकिस्तान जाएगी।
दो माह पूर्व पाकिस्तान के बैंक दिवालिया घोषित किये गए थे। आतंक रोधी फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स ने इस वर्ष के शुरुआत में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। उन्होंने इल्ज़ाम लगाया कि पाकिस्तान अपने वायदों को पूर्ण करने में विफल रहा है। आईएएफटी के पाकिस्तान को इस सूची में डालने के कारण आईएमएफ से बैलआउट पैकेज मिलने में अड़चनें आ सकती है।
आईएमएफ ने पाकिस्तान को चीन पाक आर्थिक गलियारे के कर्ज का खुलासा करने को कहा है। सीपीईसी परियोजना में लागत कर्ज का खुलासा पाकिस्तान और चीन के रिश्तों के समीकरण को बिगाड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान ने चीनी से सीपीईसी के विकास के लिए 60 बिलियन डॉलर का कर्ज लिया है।
बीते जून में अमेरिका में आईएमएफ को चेताया था कि चीनी कर्ज चुकाने के लिए पाकिस्तान को कोई कर्ज नहीं दे। अमेरिकी राज्य सचिव माइक पोम्पेओ ने कहा था कि आईएमएफ पर अमेरिका नज़र गढ़ाए हुआ है कोई गलती न करे आईएमएफ।
भारतीय अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तान के आर्थिक खराब दशा को उसने खुद न्योता दिया है। उन्होंने कहा पाकिस्तान की आधी दिक्कते समाप्त हो जाएगी यदि वह आतंकियों को मुहैया की जाने वाली रकम को विकास के लिए इस्तेमाल करे।