पाकिस्तान सरकार ने आर्थिक संकट से घिरने के बाद समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की शरण में जाने का निर्णय लिया। पाकिस्तान ने ऐलान किया कि वह बैलआउट पैकेज के लिए आईएमएफ के द्वार पर दस्तक देगा। लेकिन अमेरिका ने द्वारपाल के माफिक पाकिस्तान के आईएमएफ जाने रास्ते को जांच का हवाला देकर रोक दिया।
अमेरिका ने कुछ समय पहले कहा था कि पाकिस्तान को चीनी कर्ज को चुकाने के लिए आर्थिक सहायता मुहैया नहीं करवाई जाएगी। पाकिस्तान की गुहार के बावजूद अमेरिका अपने आपत्तियों पर दृढ है।
आईएमएफ ने गुरुवार को पाकिस्तान के बैलआउट पैकेज के आधिकारिक अनुरोध की पुष्टि की थी। सूत्रों के मुताबिक बैलआउट पैकेज 8 बिलियन डॉलर का हो सकता है। आईएमएफ ने इस मसले पर पाकिस्तान से वार्ता करने की लिए भी हामी भर दी है। इस पूरे प्रकरण पर अमेरिका ने नज़रे टिका रखी है।
अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा कि वे इस मसले को हर दृष्टिकोण से परखेंगे मसलन पाकिस्तान पर बकाया कर्ज या कर्ज के प्रकार और नियम आदि। उन्होंने कहा पाकिस्तान की ख़राब आर्थिक तबियत का जिम्मेदार चीन है। उन्होंने कहा पाकिस्तान की कर्ज में डूबने की वजह चीनी निवेश है और मुमकिन है कि पाकिस्तान सरकार खुद को इस झंझाल से मुकत न करवा पाए.
अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान के आर्थिक हालात उन्हें चेतावनी दे रहे हैं जिससे उभरने के लिए सरकार आईएमएफ की ओर रुख कर रही है।
पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने सदन की बैठक में कहा था कि अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए देश को 9 बिलियन डॉलर राशि की जरुरत है।
अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने पूर्व ही साफ़ कहा था कि पाकिस्तान को चीनी कर्ज चुकाने के लिए अमेरिकी मुद्रा नहीं दी जाएगी।
विशेज्ञों के मुताबिक पाकिस्तान के मदद के लिए चीखने के बावजूद आईएमएफ अमेरिका के डर के कारण उनकी गुहार को अनसुना कर सकता है।