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    पाकिस्तान

    पाकिस्तान की सेना तेल के कारोबार में निवेश कर रही है। देश में उनका कई प्रमुख व्यापार पर नियंत्रण कायम है। एशिया टाइम्स के मुताबिक साल 2016 में पाकिस्तानी संसद ने जानकारी दी कि सेना की कमर्शियल विंग जिसमे फौजी संस्था, शाहीन संस्था, द बहरिया फाउंडेशन, द आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट और द डिफेन्स हाउसिंग ऑथोर्टीज़ शामिल है।

    डॉन के मुताबिक यह 50 से अधिक व्यापार नियंत्रित करते हैं और इनकी 20 अरब डॉलर से अधिक आवासीय संपत्ति है।

    बीते तीन वर्षों के पूर्व आर्मी का निवेश सैकड़ों में था लेकिन अब 100 अरब डॉलर में है। सेना के कारोबार में मौजूदा विस्तार आयल क्षेत्र से हो रहा है। इसके साथ ही सेना पकिस्तान कई कारोबार की कंपनियां चलाती है, यह बैंक, फ़ूड, रिटेल सुपरस्टोर, सीमेंट, रियल एस्टेट, हाउसिंग कंस्ट्रक्शन, प्राइवेट सिक्योरिटी सर्विस और इंश्योरेंस हैं।

    पाकिस्तानी मिलिट्री में वैज्ञानिक और और लेखक डॉक्टर आसिया सिद्दीकी के हवाले से एशिया टाइम ने लिखा कि “प्राइवेट कारोबार में आर्मी का शेयर 100 अरब डॉलर से अधिक है। उन्होंने खुलासा किया है कि पाकिस्तान में फौजी फाउडेशन उनका उभरता हुआ सैन्य कारोबार है। साल 2005 में चयनित संसद ने शुगर मिल्स के विवादित कारोबारी ट्रांसक्शन पर सवाल उठायें थे, इस पर पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय ने संसद को अपमानित किया था।

    उन्होंने कहा कि सेना का सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों में दखल देने से पेशेवर प्रतियोगिता समाप्त हो रही है। इसके बजाये उन्हें सैन्य कर्तव्यों और दायित्वों पर ध्यान देना चाहिए। फ्रंटियर आयल कंपनी भी सेना की फ्रंटियर वर्क्स आर्गेनाइजेशन से जुडी है। इसे हाल ही में 37 करोड़ डॉलर के 470 किलोमीटर लम्बी पाइपलाइन का कॉन्ट्रैक्ट मिला है।

    पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने अप्रैल में व्हाइट आयल पाइपलाइन का कॉन्ट्रैक्ट इंटर स्टेट गैस सिस्टम को दे दिया था। पाकिस्तान पीपल पार्टी के सेक्रेटरी जनरल और पूर्व सांसद फ़रहतुल्लाह बाबर ने कहा कि “संसदीय प्रक्रिया दर्शाती है कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है क्योंकि सभी बिज़नेस कॉन्ट्रैक्ट सेना द्वारा स्थापित कंपनियों को दिए जा रहे है।

    उन्होंने कहा कि सेना की संस्थागत ताकत और फायदों से सभी वाकिफ है। मिलिट्री विंग अपनी ताकत का इस्तेमाल कर अपने विरोधियों को पछाड़ गैर निष्पक्ष तरीके से कॉन्ट्रैक्ट हासिल करती है। उन्होंने कहा कि इसके परिणाम बुरे हो सकते हैं क्योंकि निजी कारोबार में प्रतियोगिता खत्म हो रही है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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