पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार को हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता मिर्वैज़ उमर फारूक तक पंहुचने की कोशिश की और फ़ोन पर उससे कश्मीर मसले पर चर्चा करने को कहा था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने पत्रकारों से कहा कि यह कदम पाकिस्तानी हुकूमत की उनकी दोहरी चाल को प्रदर्शित करता है।
पाकिस्तानी मंत्रालय की तरफ सेजारी एक बयान में “पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने आल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस से बातचीत की और जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ पाकिस्तान के प्रयासों के बाबत उन्हें सूचना दी।”
पाकिस्तान की कोशिश
मिर्वैज़ उमर फारूक ने इसके बाद पत्रकारों से कहा कि “पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने इस बात पर अफ़सोस व्यक्त किया है कि इमरान खान के निरंतर गंभीर प्रयासों के के बावजूद नई दिल्ली की तरफ से कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया। हम जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालातों से बेहद चिंतित है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री इमरान खान ने भारत सरकार के साथ बातचीत के लिए भरसक प्रयास किया लेकिन दुर्भाग्यवश नई दिल्ली ने कोई सकारात्मक पहल नहीं की। वे आगामी चुनावों के बाद भारत की नई सरकार के साथ शांति वार्ता करेंगे।”
हुर्रियत के साथ नाता
यह पहली बार है कि इमरान खान के नेतृत्व में पाकिस्तान की सरकार ने हुर्रियत के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करने का प्रयास किया है। बीते साधे चार सालों से भारत, पाकिस्तानी नेतृत्व की अलगाववादी नेताओं के साथ बातचीत के लिए असहमत था। पाकिस्तान के इस कदम पर भारत ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “यह घटना पाकिस्तान सरकार में स्पष्ट विभाजन को प्रदर्शित करती है।”
पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री भारत के साथ बेहतर रिश्ते चाहते हैं। शाह महमूद कुरैशी की सेना से नजदीकी है और वह भारत को उकसाने के लिए ऐसे कदम उठाते रहते हैं। विदेश मंत्रालय के सूत्र के मुताबिक “पाकिस्तानी विदेश मंत्री का यह पीछे हटने वाला कदम है और यह सभी अनुभूतियों के खिलाफ है,जिसे पाकिस्तान सरकार बनाने की कोशिश कर रही है। यह पाकिस्तानी सरकार के नेतृत्व में दोहरी चाल को दर्शाता है।”