अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस को परमाणु संधि के नियमों का पालन करने के लिए 60 दिनों का अल्टीमेटम दिया है। इस संधि के तहत यूरोप को मिसाइल मुक्त रखना चाहिए। अमेरिका ने इसे संधि का उल्लंघन बताया था। जर्मनी के नेतृत्व में नाटो के सदस्यों ने अमेरिकी राज्य सचिव माइक पोम्पेओ पर साल 1987 में हुई इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर संधि पर दोबारा कूटनीतिज्ञ तरीके से सोचने के लिए दबाव बनाया था।
हाल ही रूस के साथ हुई इस संधि से अमेरिका बाहर निकल गया था। नाटों के विदेश मंत्रियों ने अमेरिका के समर्थन करके रूस को अधिकारिक स्तर पर संधि का उल्लंघन करने का दोषी ऐलान कर करने के लिए राज़ी हो गया है। रूस ने लैंड बेस्ड, इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर मिसाइल का निर्माण और यूरोपीय देशों को नुकसान पंहुचाने के आरोपों को खारिज कर दिया है।
नाटो के प्रमुख सचिव ने कहा कि हम रूस को माइक पोम्पेओ द्वारा लगाये इलज़ाम के बाबत सफाई पेश करने के लिए कहेंगे। माइक पोम्पेओ ने कहा कि रूस के पास एसएससी-8 मिसाइल है। उन्होंने कहा कि यह यूरोप को तबाह कर सकती है, रूस के ऐसे कदम अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए मुश्किलात पैदा कर सकते हैं।
माइक पोम्पेओ ने कहा था कि अमेरिका ने रूस के साथ साल 2013 से लगभग 30 बार इस मसले को उठाया है लेकिन रूस के केवल इनकार और प्रतिकार ही जवाब में दिया है। माइक पोम्पेओ ने कहा कि अमेरिका ने ऐलान किया है कि रूस ने संधि का उल्लंघन किया है और हमारे दायित्वों कोनिरस्त किया है। उन्होंने कहा कि रूस के पास इस संधि का अनुपालन करने का केवल 60 दिनों का समय है।
अमेरिका ने यूरोप में सैन्य संतुलन को वापस स्थापित करने का संकेत दिया है हालांकि इस पर अधिक जानकारी नहीं दी है। उन्होंने कहा कि परिक्षण और तैनाती इन 60 दिनों तक रुकी रहेगी। यूरोप में अमेरिका की मिसाइल तैनाती से बेल्जियम और जर्मनी चिंतित है।
यह संधि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और सोवियत संघ के अंतिम नेता मिखाइल गोर्बाचेव के मध्य हुई थी। इस संधि के तहत अमेरिका ने पश्चिमी जर्मनी और ब्रिटेन से मिसाइल तैनाती हटा ली थी जबकि सोवियत संघ ने यूरोपियन रेंज से एसएस-20 को हटा लिया था।