नवंबर 2016 में मोदी सरकार द्वारा घोषित की गयी नोटबंदी को लेकर भले ही प्रधानमंत्री मोदी और उनकी भाजपा सरकार पर चाहे जितने कयास लगाए गए हो लेकिन इसके विपरीत एक रिपोर्ट ने ये दावा किया गया है कि नोटबंदी असफल नहीं थी, बल्कि इसके चलते वैश्विक स्तर पर ई-पेमेंट की दर में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी दर्ज़ की गयी है।
इसी के साथ इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में 2016 के बाद तेज़ी से हुई ई-पेमेंट के आंकड़ों में गजब की वृद्धि देखने को मिली है। इसी तरह से लगातार वृद्धि होने पर देश वर्ष 2020 तक ई पेमेंट के मामले में ऑस्ट्रेलिया और कनाडा दोनों को पीछे छोड़ देगा।
यह आंकड़ें कैपजेमिनी वर्ल्ड पेमेंट रिपोर्ट ने जारी किए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘हम बिलकुल भी ऐसी आशा नहीं कर रहे थे कि भारत जैसा विशाल देश नोटेबन्दी जैसा कठिन फैसला ले लेगा, लेकिन इसी के बाद से ही भारत में नॉन-कैश ट्रैंज़ैक्शन में 33.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है। वहीं डेबिट कार्ड से पेमेंट के मामले में 76.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी सामने आई थी।’
वर्ष 2016 में डिजिटल पेमेंट के विकास के मामले में रूस (36.5%) के बाद भारत दूसरे नंबर पर था, वहीं चीन(26%) के साथ तीसरे नंबर पर था।
इस दौरान भारतीय नागरिकों द्वारा डेबिट व क्रेडिट कार्ड भी बहुत तेजी से चलन में आए जिसके चलते इनमें करीब 38.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज़ की गयी है। जबकि 2015 में यही आंकड़ा 27.8 प्रतिशत का था।
ज्ञात हो कि 8 नवंबर 2016 की शाम को देश के प्रधानमंत्री ने तत्काल प्रभाव से देश में उस समय चलन में रहे 500 व 1000 के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था, इसके बदले सरकार ने 500 और 2000 के नोटों की नयी सिरीज़ जारी की थी। मालूम हो कि सरकार के इस फैसले के बाद पूरे देश में हाहाकार सा मच गया था।