जापान और नेपाल ने मज़दूर संरक्षण समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। जापान में कार्यरत नेपाली मज़दूरों को उस समझौते के तहत ‘स्पेसिफ़िएड स्किल्ड वर्कर्स’ का दर्जा दिया जायेगा।
जापान टाइम्स के मुताबिक यह समझौता 1 अप्रैल से लागू हो जायेगा। अलबत्ता, शुरूआती दौर में जापान वाले कर्मचारियों के लिए यह समझौता प्रभावी नहीं होगा।
नेपाल के मिनिस्ट्री ऑफ़ लेबर, एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल सिक्योरिटी के जॉइंट सेक्रेटरी और नेपाल में जापानी राजदूत ने सोमवार को इस समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। मेमोरंडम ऑफ़ कोऑपरेशन के तहत डिपार्टमेंट ऑफ़ फॉरेन डेवलपमेंट एक अलग इकाई का गठन करेगा। यह इकाई एसएसडब्ल्यू के स्टेटस के साथ नेपाली मज़दूरों की जापान में होने वाली नौकरी प्रक्रिया की देख रेख करेगी।
साथ ही जापान को सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए भाषा और कौशल परीक्षा के आयोजन में मदद करेगी। दोनों तरफ गठित जॉइंट समिति एमओसी के नियमों के सही से पालन किये जाने को सुनिश्चित करेगी और नेपाली कमचारियों की नियुक्ति, रोजगार और प्रत्यर्पण में सुधार के लिए जरुरी कदम उठाती रहेगी।
समझौते के आधार पर जापान 14 क्षेत्रों में कार्य के लिए नेपाली प्रवासी कर्मचारियों को लेने की योजना बना रहा है। इसमें उद्योग, नर्सिंग, कंस्ट्रक्शन और स्वच्छता शामिल है। जापान की योजना के मुताबिक पहले पांच सालों में 345150 नेपाली कर्मचारियों को नियुक्त किया जायेगा। इसमें 60000 नर्स और 53000 कर्मचारी रेस्टॉरेंट के लिए होंगे।
योग्य मापदंड पर खरा उतरने के बाद नेपाली कर्मचारियों को प्रतिमाह न्यूनतम 20000 रूपए तनख्वाह दी जाएगी। 16 जनवरी को दोनों देशों के मध्य कर्मचारी भेजने की प्रक्रिया के लिए बातचीत हुई थी और इस दौरान नेपाल ने जापान में कर्नचारी सरकार के माध्यम से भेजने का प्रस्ताव दिया था।
नेपाल, वियतनाम, चीन, फ़िलीपीन्स, इंडोनेशिया, थाईलैंड, म्यांमार, कम्बोडिया और मंगोलिया से जापान कमचारियों की नियुक्ति करेगी। हाल ही में जापान में प्रवासी कर्मचारियों को लेने के लिए वीजा मानकों को सरल कर दिया था।