ज़िन्दगी में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं जब हमें लगता है कि अब हमारे पास कोई और चारा नहीं है और हम गिव अप कर देना चाहते हैं।
लेकिन उन परेशानियों के बीच हम यह बात भूल जाते हैं कि हमारे पास हमेशा कोई न कोई दूसरा रास्ता जरूर होता है। गिव अप करने की जगह हम उन परेशानियों से जूझ भी सकते हैं। निडर होकर उनका सामना भी कर सकते हैं और शायद फिर सब कुछ ठीक हो जाए और ऐसा भी हो सकता है कि हमारी स्थिति पहले से बेहतर हो जाए।
नेटफ्लिक्स की पहली इंडियन फिल्म प्रोडक्शन ‘चॉपस्टिक’ भी यही संदेश देती है। निर्देशक सचिन यार्डी की यह फिल्म एक लाइट कॉमेडी ड्रामा है जिसमें अभय देओल, मिथिला पालेकर और विजय राज मुख्य भूमिकाओं में हैं।
यह कहानी निरमा सहस्त्रबुद्धे (मिथिला पालकर) की है जो सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी से जूझ रही है।
वह नेक है, मेहनती है लेकिन डरपोक भी है। निरमा का यह डर उसे हर जगह नुक्सान पहुंचाता है। निरमा की अंग्रेजी और उसका सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़िया न होने के कारण ऑफिस में भी उसे उतनी तवज़्ज़ो नहीं मिलती है।
उसकी ज़िन्दगी तब बदल जाती है जब वह आई10 कार खरीदती है और उसी दिन शाम को उसकी कार चोरी हो जाती है। और इसमें पुलिस भी उसकी कोई सहायता नहीं कर पाती है। फिर वह निश्चय करती है कि वह अपनी कार स्वयं ढूंढेगी। अपनी कार खोजते-खोजते उसे इलाके के सबसे बड़े गैंगेस्टर का सामना करना पड़ता है।
क्या डरपोक निरमा अपनी कार वापस ले पाती है? इस दौरान वह किन-किन मानसिक परिस्थितियों से गुज़रती है। ये सभी एंगल फिल्म को दिलचस्प बनाते हैं।
पटकथा की बात करें तो यह हल्की-फुल्की है लेकिन दिलचस्प और मनोरंजक है। फिल्म देखते समय आपको ऐसा लगेगा कि यह तो हमारे साथ भी होता है। डायलॉग्स भी अच्छे हैं तथा बीच-बीच में हल्की-फुल्की कॉमेडी का तड़का भी है।
अभिनय की बात करें तो मिथिला को इसबार एक नए अंदाज़ में देखने के लिए मिला है और उन्होंने निराश नहीं किया है।और ‘आर्टिस्ट’ के रूप में अभय देओल का किरदार भी चार्मिंग है।
फिल्म का सबसे खूबसूरत किरदार फ़याज़ भाई ( गैंगेस्टर) का है, जिसमें जान भरी है दिग्गज अभिनेता विजय राज़ ने। कई बार अपने गुस्से को भी जाहिर करते हुए वह इस तरह की कॉमेडी क्रिएट करते हैं जिसका जवाब नहीं है।
म्यूजिक की बात करें तो फिल्म में ‘ज़िन्दगी एक सफर है सुहाना’ क्लासिक प्रयोग किया गया है और कहीं-कहीं ऐसी जगह पर जिससे आपकी हंसी छूट जाएगी। फिल्म का संगीत अच्छा है और कहीं भी ज्यादा नहीं लगता।
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अगर आप अपने मूड के हिसाब से कुछ हल्का-फुल्का लेकिन दिलचस्प देखना चाहते हैं तो यह फिल्म आपके लिए ही है और इसे देखने का आपका अनुभव अच्छा होने वाला है।
रेटिंग 2.5/5
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