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दलाई लामा ने हाल ही में बीबीसी को एक इंटरव्यू में महिला उत्तरधिकारी पर एक आपत्तिजनक बयान दिया था जिस पर उन्होंने माफ़ी मांगी है। तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने डोनाल्ड ट्रम्प ने नैतिक सिद्धांतों के कमी के लिए कोई माफ़ी नहीं मांगी है।

महिला उत्तराधिकारी पर सवाल के बाबत तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने कहा कि “अगर एक महिला उत्तराधिकारी होती है तो वह खूबसूरत होनी चाहिए।” उन्होंने तहे दिल से माफ़ी मांगी है कि उनके बयान से लोगो की भावनाएं आहत हुई है।

दलाई लामा ने मांगी माफ़ी

इस बयान का समूचे विश्व में आलोचना हुई थी। नोबेल पुरूस्कार विजेता भारत के धर्मशाला में निर्वासित है। उन्होंने कहा कि “अगर एक महिला दलाई लामा बनती है तो उन्हें ज्यादा खूबसूरत होना चाहिए।” बयान में कहा गया कि ऐसा कभी कभार होता है, जब हम किसी के सांस्कृतिक परंपरा के बाबत बोलते हैं, वह ट्रांसलेशन में हास्य से भटक गए थे। वह इस कृत्य के लिए शर्मिंदा है।”

उन्होंने अपनी समस्त जिंदगी में महिलाओं और उनके अधिकारों का समर्थन किया है। उन्होंने लैंगिक समानता और महिलाओं के लिए सम्मान का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती सक्रियता का समर्थन किया है। महिला उत्तराधिकारी होने की संभावनाओं पर उन्होंने हँसते हुए कहा कि “अगर एक महिला दलाई लामा होती है तो उन्हें ज्यादा आकर्षण वाला होना चाहिए। ”

डोनाल्ड ट्रम्प पर दलाई लामा ने कहा कि “ट्रम्प ने उन्हें एक बार भी मुलाकात के लिए नहीं कहा है। एक दिन वह कुछ और कहते हैं और दुसरे दिन ही पलट जाते हैं। मेरे ख्याल से उनमे नैतिक सिद्धांत की कमी है। ट्रम्प का “अमेरिका पहले” का एजेंडा गलत है और उनकी भावनाये कुछ ज्यादा ही जटिल है।”

दलाई लामा ने बयान दिया कि यूरोप, यूरोपीय नागरिकों के लिए हैं और यूरोपीय देशों को इन शरणार्थियों को लेना चाहिए और उन्हें शिक्षा व प्रशिक्षण देना चाहिए और इसका मकसद उनके निश्चित कौशल के साथ उनके मुल्क वापस भेजना होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि “आखिर में उन देशों का पुनर्निर्माण करना चाहिए जहां से प्रवासी भाग रहे हैं।” प्रवासियों के देशो के हालात खराब होने के कारण वापस न लौटने पर उन्होंने कहा कि “एक सीमित संख्या ठीक है लेकिन इससे समूचा यूरोप मुस्लिम देश में तब्दील हो जायेगा, या अफ्रीकी देश बन जायेगा, यह असंभव है।”

By कविता

कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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