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    दक्षिणी चीनी सागर

    चीन ने विवादित दक्षिणी चीनी सागर पर प्रशासन की देखरेख के लिए एक द्विपीय शहर के निर्माण की योजना बनायीं है। चीन समुंद्री क्षेत्र के परसेल द्वीप और स्प्राटली द्वीप की श्रृंखला और मैक्लेसफील्ड बैंक पर इसका निर्माण करेगा जिस पर चीन अपना दावा करता है।

    एशिया टाइम्स के मुताबिक परसेल द्वीप के संशा प्रशासन के कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव ज़हाँग जून ने कहा कि “वुडी द्वीप और दो छोटे टापुओं को पेड़ यानी ट्री के नाम से मशहूर को परिवर्तन करने की योजना है और इसे ‘नेशनल कीय सिक्योरिटी सर्विस एंड लॉजिस्टिक बेस’ का नाम दिया जायेगा।”

    उन्होंने कहा कि “इसमें सैन्य सुविधाएं भी शामिल है अभी इस बात को स्पष्ट नहीं किया गया है। पूरे द्वीप के विकास के लिए और वहां स्थित चट्टानों पर हमें बेहद सावधानीपूर्वक योजना बनाने की जरुरत है।”

    अंतरार्ष्ट्रीय जलमार्ग से चीन के निर्माण का विवाद नया नहीं है। हाल ही जमीन पर आधिपत्य और द्वीपों का निर्माण इसका गवाह है। जानकारों के मुताबिक द्विपीय शहर का निर्माण की योजना एक नए विस्तारवाद का जन्म है। सुरक्षा जानकारों के मुताबिक दक्षिणी चीनी सागर को बीजिंग निषेध क्षेत्र घोषित कर देगा। इसमें एयर डिफेन्स आइडेंटिफिकेशन जोन भी है, जो सागर को चीन के आंतरिक जलभाग  परिवर्तित कर देगा।

    परसेल द्वीप का नक्शा

    समुद्री क्षेत्रों को हथियाने की चीन की गतिविधियां भी इस योजना का भाग है, यह साल 2013 के अंत में शुरू हुआ था और इससे कई प्रवाल द्वीपों हुए विवादित चट्टानों को इंजीनियरिंग का इस्तेमाल कर पूर्ण रूप से द्वीप में परिवर्तित कर दिया गया था। बीजिंग ने फ़ीरी क्रॉस,मिस्चैफ और सुबि चट्टानों को द्वीप में परिवर्तित कर दिया था, जिसमे कई सैन्य और नागरिक सुविधाओं को स्थापित की गया था।

    चीन के हालिया एडवांस वेपन सिस्टम से ने समुन्द्र में स्वतंत्र नौचालन और उड़ान भरने की चिंताओं में ख़ासा इजाफा किया है। साथ ही महान ताकत अमेरिका से लड़ने में भी सक्षम बनाया है। कुछ जानकारों के अनुसार इन द्वीपों का सैन्य गतिविधियों के लिए प्रयोग होगा। हालाँकि इस पर संशय है कि कैसे यह द्वीप क्षेत्र के रणनीतिक संतुलन को बिगड़ेगा।

    हाल ही में चीनी राष्ट्रपति ने शंसा की यात्रा की थी और देश के अधिकारीयों से कहा कि देश के हित की रक्षा और दक्षिणी चीनी सागर पर संप्रभु दावे के लिए हर जरुरी कार्य करे। बीते अप्रैल में दक्षिणी चीनी सागर पर नौसैन्य ड्रिल की निगरानी शी जिनपिंग ने खुद की थी।

    जिनपिंग ने सैन्यकरण और दक्षिणी चीनी सागर पर दावे के बाबत कहा कि “गहरे समुन्द्र में कोई सड़क नहीं है, हमें दूसरे देशों का पीछा करने की जरुरत नहीं है,हम खुद ही सड़क है।”

    इस माह की शुरुआत में अमेरिका के सचिव माइक पोम्पिओ ने चीन की सार्वजानिक स्तर पर समुंद्र में अवैध निर्माण की आलोचना की थी और कहा कि दक्षिणी चीनी सागर पर कब्ज़ा कर चीन दुसरे देशों की संसाधन भंडार तक पंहुचने की राह को बंद करना चाहता है। अमेरिका ने इस माह दक्षिणी चीनी सागर पर दो बी-52 परमाणु बॉम्बर्स की तैनाती की है।

    ताइवान, वियतनाम, फ़िलीपीन्स भी इस सागर पर अपने अधिकार का दावा करते हैं। फिलीपीन्स ने इस माह अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक अदालत में विवादित जल में अंतर्राष्ट्रीय कानून के पालन होने की जांच करने की मांग की थी। उन्होंने शी जिनपिंग के खिलाफ शिकायत दी थी।

    दक्षिणी चीन सागर विवाद

    दक्षिणी चीन सागर प्रशांत महासागर का हिस्सा है, जो मुख्य रूप से दक्षिणी एशियाई देशों के इलाके में है।

    south china sea
    दक्षिणी चीन सागर का नक्षा

    दक्षिणी चीन सागर की सीमा पर चीन, वियतनाम, कम्बोडिया, मलेशिया, फिलिपिन्स, ताइवान और जापान जैसे देश आते हैं।

    ये सभी देश दक्षिणी चीन सागर के कुछ हिस्से पर अपना नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे हैं। चूंकि इस इलाके का कभी ठीक से बंटवारा नहीं हुआ है, ऐसे में सभी देश इस समय संघर्ष कर रहे हैं।

    यह सागर प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। इस सागर से विश्वभर का लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर का व्यापार होता है। ऐसे में यह सागर किसी भी देश के लिए बहुत जरूरी है।

    चीन अपनी महत्वकांशी बेल्ट एंड रोड परियोजना को सफल बनाने के लिए दक्षिणी चीन सागर पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहा है।

    अगले महीने चीन बेल्ट एंड रोड परियोजना का सम्मलेन आयोजित करने जा रहा है, जिसमें सभी मुख्य देश शामिल हो सकते हैं। ऐसे में चीन का मानना है कि यदि उसे एक आर्थिक शक्ति बनना है, तो उसे दक्षिणी चीन सागर के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा करना होगा।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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