अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इजराइल की साल 1981 में गोलन हाइट्स की संयोजन संधि को मान्यता दे दी है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस अमेरिका की यात्रा पर गए थे और उन्होंने डॉनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की थी। सीरिया की तरफ से इस कदम पर काफी कड़ी प्रतिक्रिया आ सकती है, जिसके पास एक वक्त पर यह रणनीतिक क्षेत्र था।
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डोनाल्ड ट्रम्प ने आधिकारिक रूप से घोषणा की कि वह गोलन हाइट्स को इजराइल के क्षेत्र के तौर पर मान्यता देते हैं। दशकों से जारी अमेरिकी नीति में यह काफी नाटकीय किस्म का बदलाव था। डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते गुरूवार को ट्वीट कर इस फैसले का ऐलान किया था। बेंजामिन नेतन्याहू इस कदम के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति पर फरवरी, 2017 से दबाव बना रहे हैं।
इजराइल ने 1967 मध्य एशिया की जंग में गोलन पर कब्ज़ा कर लिया था और साल 1981 में इस जमीन पर आधिपत्य कर लिया था। इस कदम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं दी गयी थी। इजराइल में 9 अप्रैल को चुनाव होने वाले हैं।
इजराइल के प्रधानमंत्री रविवार को चार दिवस की यात्रा पर अमेरिका गए थे लेकिन इजराइल पर रॉकेट हमले के कारण वह जल्द ही वापस मुल्क लौट जाएंगे।
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमवार को गाजा पट्टी से किये गए राकेट हमले के जबरदस्त प्रतिकार का संकल्प लिया हैं। गाजा पट्टी से दागे गए राकेट तेल अवीव के एक घर पर गिरा, जिससे पांच लोग बुरी तरह जख्मी हो गए थे।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि “इस पूरा में काफी समय लग गया। इसे मैं इजराइल की जनता को सौंपता हूँ।” इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने डोनाल्ड ट्रम्प के इस कदम की सराहना की है। इजराइल का कद जो साल 1967 में था, जो साल 1973 में हैं वही आज है। हम इससे कभी पीछे नहीं हटेंगे।”
डोनाल्ड ट्रम्प के ऐलान को सीरिया ने उसकी सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर जबरदस्त हमला बताया था और कहा कि गोलन पर दोबारा दावा करना हमारा अधिकार है।
यूएन के प्रवक्ता ने कहा कि “अध्यक्ष एंटानियो गुएटरेस का गोलन की स्थिति पर मत स्पष्ट है। गोलन पर यूएन की पॉलिसी सुरक्षा परिषद् में संगत समाधन को प्रदर्शित करती हैं और यह नीति परिवर्तित नहीं होगी।” यूएन के सुरक्षा परिषद् प्रस्ताव को 15 सदस्यीय संस्था ने साल 1981 में लिया था जिसके तहत गोलन पर इजराइल का प्रशासन, कानून और न्यायिक प्रक्रिया को मान्यता नहीं दी गयी थी। यह अंतर्राष्ट्रीय कानून से प्रभावित नहीं हैं।
नाटो के साझेदार तुर्की ने अमेरिका की मान्यता को अस्वीकृत करार दिया और कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र सहित सभी स्थानो पर इसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। अरब लीग ने भी इस कदम की खिलाफत की है। इजराइल की राजधानी तेल अवीव से येरुशलम में स्थानांतरित करने के बाद फिलिस्तीन ने अमेरिका से वार्ता करना बंद कर दिया है। फिलिस्तानी अथॉरिटी न्यूज़ सर्विस गाफा के अनुसार “राष्ट्रपति ने दोहराया कि सम्प्रभुता का निर्णय अमेरिका या इजराइल नहीं करेगा।”
डोनाल्ड ट्रम्प के ट्वीट के बाद अंतर्राष्ट्रीय जगत में इसके कदम के खिलाफ नकारात्मक प्रतिक्रिया आने लगी थी। यूरोपीय संघ, मध्य पूर्वी देशो और संगठनों ने अमेरिका के निर्णय आलोचना की थी।
सोमवार को अमेरिकी राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने कहा कि “हम इजराइल के साथ खड़े हैं क्योंकि उनके कार्य हमारे कार्य है, उनके मूल्य अमर मूल्य है और उनकी लड़ाई हमारी लड़ाई है। ईरान पर हमला बोलते हुए कहा कि ट्रम्प के कार्यकाल में हम ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देंगे।”
अन्य देशों की प्रतिक्रिया
डोनाल्ड ट्रम्प के इस फैसले को कई देशों से प्रतिक्रिया मिली है:
- सऊदी अरब: सऊदी अरब ने अमेरिका के इस फैसले को खारिज करते हुए इसकी निंदा की और कहा कि यह सरासर अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
- तुर्की: तुर्की के विदेश मंत्रालय नें कहा, “यह फैसला अंतराष्ट्रीय नियमों का घोर उल्लंघन है। अमेरिका को यह समझना चाहिए कि वह समस्या को सुलझाने के बजाय, खुद समस्या बन रहा है।”
- सीरिया: सीरिया नें तुरंत इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ट्रम्प का यह फैसला सीरिया की संप्रभुता पर एक बड़ा हमला है और सीरिया गोलन हाइट्स पर फिर से अधिकार जमा सकता है। सीरिया के विदेश मंत्री नें कहा कि अमेरिका का यह फैसला उसे ‘अलग-थलग’ कर देगा।
- फिलिस्तीन: फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास नें इसपर कहा कि कोई भी फैसला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् और अरब शांति स्थापना का उल्लंघन नहीं कर सकता है।
- हमास: गाजा में हमास के नेता इस्मेल हानिया नें कहा कि गोलन हमेशा सीरिया का आंतरिक अंग रहेगा।
- संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र नें इसपर कहा है कि संयुक्त राष्ट्र संघ का गोलन के प्रति फैसला पहले जैसा ही है। उन्होनें कहा कि संयुक्त राष्ट्र नें जो फैसला सालों पहले सुरक्षा परिषद् की बैठक में लिया था, वही अभीतक मानी है। जाहिर है 1981 में संयुक्त राष्ट्र में 15 देशों नें एकसाथ यह फैसला लिया था लि इजराइल इस इलाके पर कब्ज़ा नहीं जमा सकता है।
- क़तर: क़तर नें कहा है कि वह डोनाल्ड ट्रम्प के इस फैसले को पूरी तरह से निरस्त करते हैं और इसके खिलाफ संयुक्त राष्ट्र और अन्य जगहों पर आवाज उठाएंगे।