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    पाकिस्तान में इमरान सरकार को सत्ता से हटाने व देश में नए सिरे से आम चुनाव कराने के लिए प्रयासरत जमीयते उलेमाए इस्लाम-एफ (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने कहा है कि सेना प्रमुख के सेवा विस्तार-पुनर्नियुक्ति के मामले में मौजूदा संसद को कानून बनाने का हक नहीं है क्योंकि यह फर्जी है। उन्होंने कहा कि नई संसद को यह काम करना चाहिए।

    मौलाना फजल ने सिंध प्रांत के सक्खर जिले में एक जनसभा में यह बात कही। उन्होंने कहा, “अदालत ने संसद से कानून बनाने को कहा है। हालांकि हम अदालत के आदेश का सम्मान करते हैं, लेकिन इस फर्जी संसद को यह कानून बनाने का अधिकार नहीं है क्योंकि इसके पास राष्ट्र का जनादेश और विश्वास नहीं है।”

    उन्होंने अपनी इस मांग को दोहराया कि मध्यावधि चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं और अदालत के आदेश का पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि ‘अवैध शासक देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके हैं।’

    प्रधानमंत्री इमरान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि देश के शासकों को कानून के बारे में पता ही नहीं है। उन्हें यह भी नहीं पता है कि अधिसूचना कैसे जारी की जाती है।

    उन्होंने कहा कि हाल ही में हुई सर्वदलीय कांफ्रेंस ने देश में जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

    पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट ने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के सेवा विस्तार को इस शर्त के साथ मंजूरी दी है कि यह केवल छह महीने के लिए मान्य होगा। इस छह महीने में सेना प्रमुख के सेवा विस्तार या फिर से नियुक्ति जैसे मामलों पर सरकार को संसद में कानून बनाना होगा। लेकिन, इमरान सरकार के लिए यह कानून बनाना आसान नहीं होगा क्योंकि उसके पास संसद में पर्याप्त संख्या बल नहीं है और उसे विपक्ष को इसके लिए राजी करना होगा।

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