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    जम्मू और कश्मीर में राजनितिक हालात

    जम्मू कश्मीर में विधानसभा भंग होने के बाद गठन के लिए अब चुनाव होना निश्चित हो गया है। ज्यादातर पार्टियों ने कहा है कि वो चाहते हैं 2019 के लोकसभा चुनावों के साथ ही जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव कराये जाएँ।

    जम्मू और कश्मीर में विधानसभा की 87 और लोकसभा की 6 सीटें हैं। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 6 लोकसभा सीटों में से 3 पर कब्जा किया था और 3 सीटों पर महबूबा मुफ़्ती की पार्टी पीडीपी ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी जबकि लोकसभा चुनाव के वक़्त राज्य में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की गठबंधन सरकार थी।

    लोकसभा के बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 25 सीटें हासिल की थी जबकि पीडीपी ने 28 सीटों पर कब्जा किया था। सत्ताधारी कांग्रेस के हिस्से में 12 और नेशनल कॉन्फ्रेंस के हिस्से में 15 सीटें आई थी। 2 सीटें सज्जाद लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने जीती थी। पीडीपी ने अपनी सीटें जहाँ मुस्लिम बहुल कश्मीर क्षेत्र में जीती थी वहीँ भाजपा ने ज्यादातर सीटें हिन्दू बहुल जम्मू क्षेत्र में हासिल की थी इसलिए दोनों पार्टियों ने मिल कर सरकार बनाया ताकि सरकार में दोनों क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व रहे।

    विधानसभा भंग होने के बाद नए चुनाव की सूरत में इण्डिया टीवी की तरफ से एक ओपिनियन पोल कराया गया जिसमे ये निकल कर आया कि अगर अभी चुनाव कराये जाए तो 2014 में राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी पीडीपी को जबरदस्त नुक़साब उठाना पड़ेगा जबकि उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे ज्यादा फायदे में रहेगी।

    ओपिनियन पोल के अनुसार अगर अभी चुनाव हुए तो राज्य के 87 विधानसभा सीटों में से नेशनल कॉन्फ्रेंस 31 सीटें ले कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी। 2014 में 15 सीटें हासिल करने वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस को 16 सीटों का फायदा होने का अनुमान है जबकि 2014 में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी पीडीपी 16 सीटों पर जीत पाएगी। पिछले चुनाव के तुलना में 12 सीटों का नुक्सान होने का अनुमान है।

    2014 में 25 सीटें जीत कर दूसरी बड़ी पार्टी बनने वाली भारतीय जनता पार्टी को इस बार 2 सीटों का नुक्सान होने का अनुमान है। अगर अभी चुनाव हुए तो भाजपा को 23 सीटें हासिल होगी।

    सर्वे में सबसे बुरी स्थिति कांग्रेस की उभर कर सामने आई। 2014 के विधानसभा चुनावों में 12 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ओपिनियन पोल के हिसाब से सिमट कर 7 सीटों पर आ जायेगी। कांग्रेस को 5 सीटों का नुक्सान होने का अनुमान जताया गया है। जबकि अन्य के हिस्से में 10 सीटें जाती दिख रही है। इस अन्य में सज्जाद लोन की पार्टी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस भी है।

    अगर लोकसभा की बात करें तो 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में ओपिनियन पोल के हिसाब से भाजपा को 1 सीट का नुक्सान होता दिख रहा है जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस को 2 सीटों का फायदा होने का अनुमान जताया गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 2014 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीटें हासिल नहीं की थी लेकिन 2019 में उसके हिस्से में 2 सीटें जाती दिख रही है। वहीँ 3 सीटें जीतने वाली भाजपा 1 सीट के नुकसान के साथ 2 सीटें हासिल कर सकती है।

    2014 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट हासिल न कर पाने वाली कांग्रेस के हिस्से में 2019 में लोकसभा की 1 सेट जाती दिख रही है जबकि सबसे ज्यादा नुक्सान में पीडीपी रहने वाली है। 2014 में लोकसभा की 3 सीटें हासिल करने वाली पीडीपी सिमट कर 1 सीट पर रह जायेगी।

    जून में भाजपा और पीडीपी का गठबंधन टूट जाने के बाद से वहां राजयपाल शासन लागू था लेकिन बुधवार को राजयपाल ने विधानसभा भंग कर नए चुनाव का रास्ता साफ़ कर कर दिया।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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