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    जस्टिस लोया केस

    सोहराबुद्दीन मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई विशेष अदालत के जज ब्रजगोपाल हरकिशन लोया (बी.एच.लोया) की मौत अब रहस्यमयी हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश खुद इस केस की अब सुनवाई कर रहे है। इससे पहले ये केस कनिष्ठ रैंक के जज अरूण मिश्रा को सौंप दिया गया था जिसके बाद चार सीनियर जजों ने सार्वजनिक प्रेस वार्ता बुलाकर भारतीय न्यायपालिका व लोकतंत्र खतरे को उजागर किया था।

    गौरतलब है कि दिसंबर 2014 में नागपुर में 48 वर्षीय न्यायाधीश लोया का निधन सोहराबुद्दीन एनकाउंटर की सुनवाई करने के दौरान हुई थी। इसमें मुख्य दोषी बीजेपी प्रमुख अमित शाह को पाया गया था। लेकिन अचानक उनकी मौत को दिल का दौरा बताया गया। इसके बाद नए जज ने अमित शाह को सबूतों के अभाव में इस केस से बरी कर दिया था।

    लेकिन बाद में जस्टिस लोया की मौत को संदिग्ध बताते हुए इनके रिश्तेदारों ने जांच की मांग की थी। लोया केस को लेकर तहसीन पूनावाला, एक कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और मुंबई के पत्रकार बंधुराज लोन द्वारा दो याचिकाएं दायर की गई। बाद में भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने एक अपेक्षाकृत कनिष्ठ न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ को ये केस सौंप दिया था।

    केस को लेकर कोर्ट के जजों में देखा गया मतभेद

    जबकि चार अन्य न्यायाधीशों का मानना था कि ये मामला एक वरिष्ठ जज के हक में होना चाहिए था। लेकिन वरिष्ठ जजों को छोडकर इसे कनिष्ठ जजों को दे दिया गया। जिसके बाद 12 जनवरी को चार न्यायाधीशों जे. चेलेमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसेफ ने सार्वजनिक प्रेस वार्ता बुलाई और अपना विरोध प्रकट किया। इसके बाद देश में तहलका मच गया था।

    न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, जो सुनवाई करने वाले दो न्यायाधीशों में से एक थे उन्होंने बाद में कहा कि उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया गया और उनकी दक्षता के बारे में उन पर अनेक सवाल उठाये गए। बाद में इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया गया।

    22 जनवरी को सीजेआई के नेतृत्व में तीन न्यायाधीशों की बेंच ने लोया केस मामले में दायर की गई याचिका पर वापिस से सुनवाई शुरू कर दी है। दीपक मिश्रा के अलावा ए.एम.खानविलकर और डी.वाय. चंद्रचूड इस केस की सुनवाई कर रहे है।