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    जर्मनी द्वारा प्रस्तावित हाई स्पीड रेलवे लाइन

    जर्मन सरकार ने चेन्नई और मैसूर को जोड़ने वाले हाई स्पीड रेल नेटवर्क के निर्माण का प्रस्ताव दिया है। इस नेटवर्क के निर्माण से दो शहरों के मध्य की दूरी पांच घंटे कम हो जाएगी।

    जर्मन राजदूत ने बताया कि इस 435 किलोमीटर की माग के निर्माण की फाइल रेलवे विभाग के चेयरमैन अश्वनी लोहानी को सौंप दी गयी है।

    रिपोर्ट के मुताबिक यह निर्माण परियोजना 435 किलोमीटर के क्षेत्रफल को घेरेगी और इस अधिकतम रफ़्तार 320 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी जो चेन्नई और मैसूर के मध्य की दूरी को सात घंटे से दो घंटे तक कम कर देगी।

    जर्मनी के राजदूत ने बताया कि इस परियोजना का व्यय और योजना जर्मन सरकार ने तैयार की है। उन्होंने कहा कि यह मार्ग ट्रैफिक को नियंत्रण करने में काफी सहायक सिद्ध होगा।

    रिपोर्ट के मुताबिक इस परियोजना की अनुमानित लागत एक लाख करोड़ है और अतिरिक्त 150 करोड़ रोलिंग स्टॉक के लिए लगेंगे।

    जर्मन की रिपोर्ट के मुताबिक इस मार्ग का 85 प्रतिशत मार्ग एलिवेटेड और 11 प्रतिशत टनल पर होगा। यह मार्ग चेन्नई और मैसूर के मध्य की दूरी को 100 मिनट तक कम कर देगा।

    अश्वनी लोहानी ने कहा कि यह प्रस्ताव काफी आकर्षित है और अभी हम इसकी समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस परियोजना के माध्यम से यात्रियों की हवाई सफ़र पर निर्भरता को कम कर सकेंगे।

    जब यात्री अपने गंतव्य तक पंहुचने में समय की कमी देखेगे तो इस रेलवे मार्ग की तरफ आकर्षित होंगे। उन्होंने कहा कि ट्रेनों की गति एयरलाइन से अधिक है।

    रिपोर्ट के मुताबिक इस परियोजना के विश्लेषण के तीन साल और निर्माण के नौ साल को मिलकर इस रेलवे मार्ग की शुरुआत साल 2030 से हो सकेगी। इन हाई स्पीड रेलवे लाइन के उच्च किराए के कारण कई अधिकारियों ने इस परियोजना के निर्माण को संभव नहीं समझते हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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