Sat. Nov 23rd, 2024
    फेसबुक

    आज किसी भी देश के चुनाव में प्रचार सहित अन्य तमाम रणनीति को सफल बनाने के लिए सोशल मीडिया का धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है। ऐसे फेसबुक जैसे सोशल प्लेटफॉर्म पर किसी भी तरह की गलत खबर का फैलना या दुष्प्रचार होना आम बात है।

    ऐसे में अपनी ज़िम्मेदारी को समझते हुए फेसबुक ने अमेरिका में एक ‘वार रूम’ की स्थापना की है। फेसबुक के मैनलो पार्क स्थित हैड्क्वार्टर में इस वार रूम को स्थापित किया गया है। इस वार रूम का मुख्य उद्देश्य अमेरिका या अमेरिका के बाहर चल रहे किसी भी के चुनावों में फेसबुक की मदद से फैलाई जा रही झूठी खबरें या दुष्प्रचारों को रोकना है।

    आखिर क्यों पड़ी इसकी जरूरत?

    इंटरनेट के इस युग में किसी भी देश में छोटे से छोटे चुनावो के लिए भी प्रचार के साधन के रूप में आज सोशल मीडिया को प्राथमिकता दी जाती है। ऐसे में किसी भी खबर या प्रचार की प्रामाणिकता न होने के चलते यह पता कर पाना मुश्किल हो जाता है कि जो खबरें इन माध्यमों से फैलाई जा रहीं है, वे कितनी सच्ची है? फेसबुक का वार रूम इस तरह की खबरों और प्रचारों को रोकने के मकसद से काम करेगा।

    भारत जैसे बड़े देश में जहां अभी भी सोशल मीडिया को लेकर आम जनता के बीच उतनी समझ विकसित नहीं है। ऐसे में एक गलत खबर या किसी तरह का दुष्प्रचार भयानक हिंसा का कारण बनकर उभरता है। इन्हीं कारणों से उभरी हिंसाकी वजह से कई बार लोगों की हत्या तक हो जाती है।

    ‘वार रूम’ कैसे करेगा काम?

    फेसबुक के वार रूम में 20 लोगों की एक टीम किसी भी देश के चुनाव प्रचार से संबन्धित हर गतिविधि (जो फेसबुक पर हो रही है) पर नज़र रखेगी। यह टीम इसी के साथ टीम विभिन्न देशों के टाइम ज़ोन, विभिन्न मुख्य चैनलों पर चल रही चुनाव संबंधी खबरें व ट्वीटर आदि पर एक साथ नज़र रखेगी।

    ऐसे में टीम किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि, पोस्ट या फोटो जो चुनाव के माहौल को किसी भी तरह से प्रभावित कर सकती है, उसे फैलने से रोकेगी।

    अमेरिका में क्या है इसकी उपयोगिता?

    अमेरिका जैसे देश में होने वाले आम चुनाव पूरे विश्व के लिए प्रभावी होते हैं, ऐसे में अमेरिकी चुनावों में किसी भी तरह की कोई कसर नहीं रखी जाती है। अब अगर चुनाव में खड़े प्रतिद्वंदी एक दूसरे को नीचे गिराने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं, तो ऐसे में चुनाव बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।

    2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इस तरह की खबरें सामने आयीं थीं कि इन चुनावों में रूस का सीधा हस्तक्षेप है। इसके बाद सोशल मीडिया पर कई तरह सही-गलत खबरों की बाढ़ सी आ गयी थी। इस दशा में सिर्फ सोशल मीडिया के ही जरिये किसी भी चुनाव को प्रभावित करना कोई बड़ी बात नहीं है।

    कैसे होगा इसका इस्तेमाल?

    फेसबुक का वार रूम एक फिल्टर की तरह काम करेगा, जो इस बात का ख्याल रखेगा कि लोगों तक फेसबुक के माध्यम से किसी भी तरह की गलत खबर न फैलाई जाये। वार रूम का पहला प्रयोग ब्राज़ील राष्ट्रपति चुनावों के दौरान हुआ है। ब्राज़ील के चुनाव में भी इस तरह की कई घटनाएँ सामने आई हैं, जब सोशल मीडिया का प्रयोग खबरों के दुष्प्रचार के लिए हुआ है। यह वार रूम 24X7 की सुविधा देगा।

    भारत में कितना प्रभावी होगा ‘वार रूम’?

    भारत जैसी विशाल लोकतान्त्रिक व्यवस्था में, जहाँ अभी भी अधिकतर लोग सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर सजग नहीं है, ऐसे में गलत खबर फैलाने और दुष्प्रचार करने वाले लोगों के लिए इस तरह की गलत खबरों को फैलाना काफी आसान होता है।

    लोग इन गलत खबरों को ही सच मान लेते हैं और इसकी वजह से देश व समाज में तनाव का माहौल उत्पन्न हो जाता है। कई बार विवाद व हिंसा जैसी घटनाएँ सामने आने लगती हैं। ऐसे में जरूरी है कि वार रूम जैसी कोई मॉनिटरिंग व्यवस्था स्थापित की जाये, जिससे सोशल मीडिया खबरों के दुष्प्रचार का माध्यम बनने से बच सके।

    यदि 2019 में भारत में होने वाले आम चुनावों में यह सुविधा फेसबुक द्वारा लागू की जाती है, तो चुनावों को निष्पक्ष बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम होगा। हाल ही में चुनाव आयोग ने भी फेसबुक, गूगल और ट्वीटर से बात कर भारत के आम चुनावों में सहयोग देने की मांग की थी

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *