भारत में सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक व ट्विटर ने चुनाव आयोग को यह भरोसा दिलाया है कि आगामी लोक सभा चुनावों में वे किसी भी तरह की फेक न्यूज़ को फैलने से रोकेंगे व इसी के साथ ही वे चुनाव अचार संहिता के पालन में भी चुनाव आयोग की मदद करेंगे। इसके पहले चुनाव आयोग ने फेसबुक व ट्विटर के जरिये होने वाले प्रचार अभियान को नियंत्रित करने करने की पहल की थी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा है कि “इसके पहले इस तरह का परीक्षण हम कर्नाटक चुनावों में कर चुके हैं, लेकिन वो छोटे स्तर पर था, अब हम इसे बड़े स्तर पर संचालित करेंगे। 2019 के आम चुनावों के पहले भी इसे अभी मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ व मिजोरम के विधानसभा चुनावों में परखा जायेगा।”
इसी के साथ रावत ने बताया कि उप चुनाव आयुक्त की अध्यक्षता में गठित एक कमेटी ने गूगल, फेसबुक व ट्विटर के क्षेत्रीय प्रमुखों के साथ एक मीटिंग करके उनसे पूछा है कि वे इस बार भारत के आम चुनावों की शुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए क्या कर सकते हैं?
इसी के साथ उन्होंने बताया कि ये सभी कंपनियां चुनाव प्रक्रिया की शुद्धता को लेकर प्रतिबद्ध नज़र आयीं हैं। इन तीनों कंपनियों ने वादा किया है कि वे इस बार के आम चुनावों में किसी भी तरह की फेक न्यूज़ को नहीं फैलने देंगी।
इसी के साथ भारतीय चुनाव संहिता के अनुसार वोट पड़ने से 48 घंटे पहले ही वे अपने प्लेटफॉर्म पर चल रहे सभी तरह के चुनाव प्रचार पर रोक लगा देंगी।
भारतीय संविधान के अनुसार देश में वोटरों को अपना मत निश्चित करने के लिए वोट पड़ने से ठीक पहले 48 घंटों का शांतिपूर्ण माहौल दिया जाता है, इसी के चलते वोटिंग के ठीक 48 घंटे पहले से सभी तरह का चुनाव प्रचार रोक दिया जाता है।
इसी के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि ये कंपनियां अपने प्लैटफ़ार्म पर विभिन्न पार्टियों के चुनाव प्रचार में खर्च हुए कुल रुपये का भी हिसाब चुनाव आयोग को देंगी।
गूगल ने इसी के साथ ही ऐसा प्रोग्राम विकसित करने का वादा भी किया है, जिससे उसके विभिन्न प्लैटफ़ार्म पर चुनाव प्रचार के दौरान इन पार्टियों द्वारा किए गए कुल खर्च का हिसाब आयोग को दिया जा सके।