चीन की सरकार द्वारा स्वायत्त क्षेत्र शिनजियांग के दौरे को अमेरिकी अधिकारीयों ने भ्रमित करने और झूठे कहानी को गढ़ने का प्रोपोगेंडा बताया था। चीन ने हाल ही में इस क्षेत्र के दौरे के लिए के लिए यूरोपीय राजदूतों को न्योता दिया था। पश्चिम और अन्य दक्षिण पंथी समुदायों की आलोचनाओं से बचने के लिए चीन काफी कदम उठा रहा है।
आलोचकों के मुताबिक चीन शिनजियांग में रहने वाले उइगर और अन्य मुस्लिमों के लिए नज़रबंद शिविर चला रहा है। चीनी सरकार इन शिविरों को प्रशिक्षण केंद्र कहती है और चरमपंथियों की विचारधार में बदलाव और हिंसा में कमी केलिए इसे बेहद जरुरी बताती है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने बीते हफ्ते ऐलान किया था कि वह बीजिंग में स्थित यूरोपीय संघ के राजदूतों को शिनजियांग की यात्रा के लिए आमंत्रित करेंगे। अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि “चीन में नियुक्त अमेरिकी राजदूत टेरी ब्रान्स्टङ को अगर शिनजियांग की यात्रा के लिए आमंत्रित किया गया था तो इस तरह की बैठक और यात्रा का कोई ऐलान नहीं हुआ था।”
रायटर्स के मुताबिक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि “चीनी सरकार शिनजियांग की यात्रा झूठी कहानी गढ़ने और इस क्षेत्र में मानव अधिकार उल्लंघनों की असलियत को छुपाने के लिए यह चाल चल रही है। शिनजियांग में एक दमनकारी अभियान जारी है और प्रशिक्षण केंद्रों या बोर्डिंग स्कूलों की सुविधाएं विश्वनीय नहीं है। हम चीन से इन काउंटर प्रोडक्टिव नीतियों का अंत करने के लिया कहना जारी रखेंगे। साथ ही नज़रबंद लोगों को जल्द रिहा करने और मुल्क से बाहर रह रहे अल्पसंख्यक मुस्लिम लोगों की जल्द चीन में वापसी के प्रयासों का मुद्दा उठाते रहेंगे।”
इस मसले से बीजिंग और वांशिगटन के रिश्तों में तल्खियां बढ़ गयी है, जो व्यापार जंग की परेशानियों से जूझ रहे थे। बीते वर्ष पश्चिमी देशों सहित जर्मनी, ईयू के राजदूतों ने सरकार को शिनजियांग के वरिष्ठ अधिकारीयों के साथ बैठक की जरुरत को बताया था। अमेरिका प्रशासन ने शिनजियांग में मौजूद चीनी अधिकारीयों पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।
चीन में स्थित यूरोपीय दूतावास ने इस निमंत्रण पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया था। राष्ट्रपति शी जिनपिंग अभी यूरोपीय देशों की यात्रा पर है। अगले माह चीन और यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री ली केकिआंग ब्रुसेल्स की यात्रा पर जायेंगे।
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