Tue. May 7th, 2024
माउंट एवेरेस्ट

नेपाल और चीन ने संयुक्त रूप से माउंट एवेरेस्ट की उंचाई को दुबारा मापने के लिए रजामंदी जाहिर की है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकातों का सिलसिला खत्म होने के बाद एक संयुक्त बयान में उन्होंने कहा कि “माउंट एवेरेस्ट नेपालियों के लिए सागरमाथा और चीनियों के लिए ज्हुमुलान्गमा की तरह मशहूर है, यह नेपाल और चीन के बीच एक मजबूत दोस्ती को प्रदर्शित करता है।”

बयान में कहा कि ” दोनों पक्ष विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग का प्रचार करेंगे इसमें जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण का संरक्षण शामिल है। उन्होंने संयुक्त रूप से माउंट सागरमाथा/ ज्हुमुलान्गमा की उंचाई का ऐलान करेंगे और साइंटिफिक रिसर्च का आयोजन करेंगे।”

नेपाल ने माउंट एवेरेस्ट की उंचाई को मापने के लिए सरकार द्वारा नियुक्त पर्वतरोहियो को भेज दिया है। विश्व जा सबसे बड़ा पर्वत हिमालय के इलाके में पड़ता है जो नेपाल और चीन की सीमा पर स्थित है।

साल  1954 में भारतीय सर्वे के कारण इसकी अधिकारिक उंचाई 8848 मीटर है और इसकी छोटी की उंचाई को भी नापगाया गया था। हालाँकि साल 2015 में एक भारी भूकंप के बाद हिमालय की उंचाई को लेकर बहस छिड गयी थी।नेपाल की सर्वे डिपार्टमेंट कमीशन ने साल 2017 में एक टीम तैयार की थी। चीन के राष्ट्रपति भारत के बाद नेपाल की यात्रा पर गए थे।

चीन के साथ रेलवे की परियोजना को चीन भारत से निर्भरता को खत्म करने के लिए एक वैकल्पिक चयन के तौर पर देखता है। नेपाल के दो-तिहाई व्यापार पर भारत का कब्ज़ा है और यह ईंधन के सप्लाई का एकमात्र स्त्रोत है। साल 2015 में बॉर्डर क्रोसिंग में बाधा उत्पन्न होने के कारण नेपाल में कई महीनो तक दवाइयों और ईंधन की काफी किल्लत रही थी।

By कविता

कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *