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    चीन अमेरिका व्यापार युद्ध

    अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार से एक ओर पूरे विश्व के माथे पर चिंता की लकीरें बनी हुईं है, वहीं दूसरी ओर इसी के चलते भारत में निर्यातकों की लॉटरी लगने की संभावना है।

    अमेरिका-चीन के बीच चल रही तकरार के चलते एक ओर ये दोनों ही देश एक दूसरे से आयात होने वाले समान पर अधिक से अधिक आयात शुल्क लगाने की होड़ मचाए हुए है, जिस वजह से वैश्विक व्यापार में असंतुलन का खतरा बना हुआ है। इसे लेकर वर्ल्ड बैंक भी अपनी चिंता जाहिर कर चुकी है।

    दूसरी ओर भारत के निर्यातक इस मौके को भुना लेना चाहते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी-चीन ट्रेड वार के चलते भारत के निर्यातकों के पास इन दोनों ही देशों में करीब 8.7 अरब डॉलर कीमत के 119 तरह के उत्पादों को निर्यात करने का मौका है।

    यह आंकड़ा प्रति वर्ष निर्यात के हिसाब से है। इसके चलते भारत वस्त्र से लेकर समुद्री प्रयोग के समान तक निर्यात करेगा।

    हाल ही में अमेरिका की ट्रम्प सरकार ने चीन से अमेरिका में भेजे जाने वाले 250 अरब डॉलर के समान पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त आयात कर लगाने का निर्णय किया है। इसी वजह से भारत के उत्पाद चीन के उत्पादों की तुलना में अधिक सस्ते पड़ेंगे, जिससे भारतीय निर्यातकों को अधिकाधिक लाभ होगा।

    अमेरिका चीन के सामानों पर दो चरणों के तहत सीमा शुल्क बढ़ा रहा है। पहले चरण में उसने करीब 50 अरब डॉलर कीमत के चीनी समान पर अतिरिक्त कर लगाया था, वहीं दूसरे चरण में भी अमेरिका चीन से आयात होने वाले समान पर अधिकाधिक कर लगाने पर विचार कर रहा है।

    हालाँकि इस दौरान भी भारत के निर्यातकों को वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों से मुक़ाबला करना पड़ सकता है।

    खबरों के मुताबिक भारत अमेरिका को खाद्य सामग्री से लेकर कपड़ा व चमड़े की वस्तुओं आदि का भी निर्यात करेगा।

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