तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू आज भाजपा विरोधी महागठबंधन की संभावनाओं को मजबूत करने के लिए राजधानी दिल्ली पहुंचे और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी से मुलाक़ात की।
नायडू की ये दिल्ली यात्रा इस मायने में बहुत महत्वपूर्ण है जब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को साथ लिए बिना गठबंधन की तैयारी कर रहे हैं। नायडू ने अखिलेश यादव और मायावती से भी मुलाक़ात का वक़्त माँगा है।
नायडू की अखिलेश और मायावती से मुलाक़ात का उद्धेश्य कांग्रेस को गठबंधन में साथ लाने के लिए मनाना है। हालाँकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी खुद भी उत्तर प्रदेश में गठबंधन के इच्छुक है लेकिन बिना कांग्रेस के गठबंधन की खबरों के बीच राहुल गाँधी ने गल्फ न्यूज के साथ एक इंटरव्यू में कहा था कि कांग्रेस को कोई कम नहीं आंके। अकेले लड़ कर भी कांग्रेस आश्चर्यजनक परिणाम हासिल करेगी।
दिल्ली में नायडू की एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, सीपीआई (एम) के नेता सीताराम येचुरी और जेडीएस अध्यक्ष एचडी देवेगौडा से भी मुलाक़ात करने की संभावना है। हालाँकि वो अपनी पिछली दिल्ली प्रवास के दौरान भी इन नेताओं से मुलाक़ात कर चुके हैं।
10 दिसंबर को दिल्ली में विपक्षी दलों की एक मीटिंग हुई थी लेकिन उस मीटिंग से मायावती और अखिलेश यादव ने दूरी बरती थी तभी से ये कयास लगाए जा रहे थे कि ये दोनों पार्टियाँ कांग्रेस के बिना गठबंधन में जाना तय कर चुकी है।
नायडू से ये पूछे जाने पर कि क्या वो सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती से मिलेंगे, नायडू ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा था कि वह निश्चित रूप से अपना समय मांगेंगे और यदि संभव हो तो उनसे मिलेंगे।
हालाँकि नायडू पहले ही ये साफ़ कर चुके हैं कि वो किसी पद या लोभ के लिए महागठबंधन बनाने की कोशिश नहीं कर रहे। वो बस एक सेतु का काम कर रहे हैं ताकि एनडीए विरोधी दलों को जोड़ सकें।