भारत में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी की वैधता को लेकर कुछ भी साफ़ नजर नहीं आ रहा है।
इकनोमिक टाइम्स के मुताबिक देश की सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को क्रिप्टो करेंसी के संबंध में स्पष्ट राय रखने के लिए 2 हफ्तों की मोहलत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के लिए समय सीमा का निर्धारण इस लिए किया है, क्योंकि देश में क्रिप्टो करेंसी को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है, लेकिन सरकार इसे लेकर अभी तक अपनी एक राय देश के सामने नहीं रख सकी है।
वहीं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इसी वर्ष अप्रैल महीने में क्रिप्टो करेंसी के व्यवसाय के लिए बैंकों पर पूर्णतया रोक लगा थी। रिजर्व बैंक ने अपनी सभी संबन्धित बैंकों को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि बैंक किसी भी तरह से क्रिप्टो करेंसी का व्यापार करने वाले व्यक्ति या एजेंसी के लिए अपनी सुविधाएं ना दें।
कॉइन टेलीग्राफ के मुताबिक देश में क्रिप्टो व्यवसाय के जुड़े हुए करीब 44 हज़ार लोगों के सरकार से इस बैन को खत्म करने की माँग की थी। इन सभी लोगों के एक याचिका पर हस्ताक्षर कर केंद्र सरकार को वह याचिका दी थी। इसके लिए हालाँकि 50 हज़ार हस्ताक्षर का लक्ष्य रखा गया था।
वहीं दूसरी ओर आरबीआई के आदेश के बाद नेस्कॉम ने सरकार और आरबीआई को घेरते हुए कहा था कि सरकार क्रिप्टो करेंसी पर इस लिए बैन लगाना चाहती है क्योंकि वह इस नयी तकनीक के साथ तालमेल ही नहीं बैठा पा रही आई। नेस्कॉम राष्ट्रीय स्तर पर सॉफ्टवेयर कंपनियों का संगठन है।
अब सुप्रीम कोर्ट की नोटिस के बाद केंद्र सरकार देश में क्रिप्टो करेंसी के भविष्य को लेकर अपनी रणनीति साफ कर देगी, ऐसे मे देखना होगा कि क्या सरकार आरबीआई के पाले को चुनती है या फिर भारत भी उन देशों कीसूची में शामिल हो जाएगा जहाँ क्रिप्टो करेंसी वैध है?