कुम्भ मेला आज से शुरू हो गया है और करोड़ो लोगो की उपस्थिति देखे जाने की उम्मीद है। आयोजकों का मानना है कि अगले 48 दिनों में प्रयागराज में लगभग दस करोड़ लोग एक साथ पवित्र स्नान कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश में प्राचीन शहर पौराणिक गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के किनारे बना हुआ है। इन तीनों नदियों का मिलन जिसे संगम कहते हैं, उसे बेहद पवित्र माना जाता है और हिन्दुओं की ऐसी मान्यता है कि कुम्भ के दौरान संगम में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाराष्ट्र के नागपुर से 650 किलोमीटर की यात्रा करने वाली तीर्थयात्री संगीता गंगोत्री ने कहा-“यह तीर्थयात्रा मुझे शांति और मेरे जीवन को प्रतिबिंबित करने का अवसर प्रदान करती है।”
निर्वस्त्र और निडर पवित्र लोग राख में लिपटे हुए और केसरिया वस्त्र पहने साधुओं की टोली भीड़ में दिखाई देती है और भारत के हर कोने से आये तीर्थयात्रियों को आशीर्वाद देती है।
60 वर्षीय भक्त चंदन पांडे ने कहा-“इस अवधि के दौरान सभी देवता इस पवित्र स्थान पर उतरते हैं। यह किसी भी इंसान के लिए सबसे शुभ उत्सव है। मैं कई वर्षों से इसमें भाग लेने की योजना बना रहा था।”
भीड़ के नियंत्रण के लिए 30,000 पुलिस भी तैनात की गयी है और रेस्तरां, सड़कों और बाजारों के साथ एक ‘तम्बू शहर’ नदी के पास बनाया गया है, 45 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में बनाया गया ये ‘तम्बू शहर’ विशेष तौर पर तीर्थयात्रियों के रुकने और सुविधा के लिए बनाया गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कुम्भ मेले का बड़े पैमाने पर प्रचार किया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर में प्रयागराज जाकर कुम्भ को सँभालने वाले उच्च-तकनीकी सेंटरों का उद्घाटन किया था।