यूनेस्को ने भारत में हिंदुओं के प्रसिद्ध कुंभ मेले को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्रदान की है। यूनेस्को ने कुंभ मेले को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में दर्जा देते हुए सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल किया है। कुंभ मेले को यूनेस्को की सूची में शामिल किए जाने का निर्णय दक्षिण कोरिया के जेजू में चल रही बैठक में लिया गया।
Kumbh Mela just inscribed on the Representative List of the Intangible Cultural Heritage of Humanity. Congratulations, #India #IntangibleHeritage #12COM
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— UNESCO 🏛️ #Education #Sciences #Culture 🇺🇳😷 (@UNESCO) December 7, 2017
कुंभ मेले को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल होने के अवसर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट करके इसे भारत के लिए बेहद खुशी और गर्व की बात बताया है।
A matter of immense joy and pride for India. https://t.co/eKBPUh2fMj
— Narendra Modi (@narendramodi) December 8, 2017
कुंभ मेले को यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर में शामिल किए जाने पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज व सांस्कृतिक मंत्री महेश शर्मा ने भी खुशी जाहिर की है। महेश शर्मा ने इसे भारत के लिए गर्व का क्षण बताया है।
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि यूनेस्को के तहत काम करने वाली अंतर-सरकारी समिति द्वारा कुंभ मेले को मान्यता प्रदान की गई है।
पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा धार्मिक मेला
अंतर-सरकारी समिति ने अपने बयान में कुंभ मेले को पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण धरोहर माना है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूनेस्को के तहत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अंतर-सरकारी समिति ने मानवता के अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची पर कुंभ मेले को शामिल किया है।
ये निर्णय दक्षिण कोरिया के जेजू में आयोजित 12 वें सत्र के दौरान लिया गया। भारत की ओर से दो सालों में योग और नवरोज (पारसी नववर्ष) के बाद कुंभ मेले को यूनेस्को में सूचीबद्ध किया गया है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि समिति के मुताबिक इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित त्यौहार, भारत में पवित्र नदियों में पूजा और अनुष्ठान से संबंधित कुंभ मेला तीर्थयात्रियों की सबसे बड़ी शांतिपूर्ण धरोहर को दर्शाता है।