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    किसान

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए वर्ष 2022 तक का लक्ष्य रखा है। वैसे तो देश के कृषि क्षेत्र में काफी सुधार की आवश्यकता है। लेकिन फिर भी कई तरीके हैं, जिनसे किसानों की आय को बढ़ाकर दोगुना किया जा सकता है।

    देश में किसानों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीज आसानी से उपलब्ध नहीं है। सरकारी बीज भंडार पर तो ये उपलब्ध हो ही नहीं पाते हैं। ऐसे में अच्छे बीज किसानों को सिर्फ निजी दुकानों पर ही मिल पाते हैं। ऐसे में निजी दुकानों में बीज के बढ़े हुए दाम किसानों की आमदनी को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं।

    हालाँकि किसानों को इस समस्या से बचाने के लिए किसान निर्माता संस्थान बनाने की भी माँग कई बार उठ चुकी है। यह संस्थान किसानों को खेती संबन्धित समान कम दामों में उपलब्ध कराने पर काम करेगा।

    वियतनाम की तर्ज़ पर भारत ने ‘छोटे किसान बड़ा क्षेत्र’ की नीति को 2016-17 की रबी की फसल में अपनाया था। ऐसे में प्रति एकड़ किसानों की आय में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है। प्रति एकड़ भूमि पर यह आय 12,130 रुपये से बढ़कर 24,830 रुपये तक पहुँच गयी थी।

    इसके तहत 90 में से 54 किसानों ने साझा खेती करने के लिए हामी भारी थी। इसके तहत समन्वय समिति के सहयोग से गाँव की 90 एकड़ खेती पर फसल उगाई गयी थी। इसके तहत किसानों के पंजीकृत विक्रेता से बीज खरीदते हुए एक साथ पूरे खेत में धान की खेती की थी।

    इसी के साथ छोटे खेतों में ट्रैक्टर को इस्तेमाल में लाना भी मुश्किल होता है, लेकिन बड़े खेत में यह भी आसान हो गया था।

    IFFCO ने भी किसानों के संगठन के लिए खाद कम दामों पर उपलब्ध करा दी थी।

    इसके बाद किसानों की फसल को बेंचने के लिए स्थानीय मिलों का ही चयन किया गया। ऐसे में इन मिलों ने किसानों के अनाज की गुणवत्ता को देखते हुए उन्हे अच्छ दाम देने के लिए राज़ी हो गए। इसी के साथ कम निवेश में किसानों की आय में ज़बरदस्त बढ़ोतरी देखी गयी।

    वर्ष 2015 में इन खेतों से किसानों को 12,310 रुपये तो 2016 में इस फसल के साथ किसानों को 24,830 रुपये की कमाई हुई थी।

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