कलकाता हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को झटका देते हुए राज्य में भाजपा की तीन रथ यात्राओं को मंजूरी दे दी। पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य की शांति व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देकर कर यात्राओं को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। उसके बाद भाजपा ने कोर्ट का रुख किया था।
डिवीजन खंडपीठ के फैसले ने अदालत से पहले के फैसले को उलट दिया था, जिसने रैली की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। बाद में भाजपा ने फिर से अपील की थी। कोर्ट ने कहा कि शांति व्यवस्था बहाल करने की जिम्मेदारी सरकार की है और सिर्फ इस कल्पना पर कि शांति व्यवस्था भंग हो सकती है, रथ यात्रा पर रोक नहीं लगे जा सकती।
भाजपा, ममता बनर्जी शासन के खिलाफ ‘गणतंत्र बचाओ रैली’ निकालने वाली है। ये रैली राज्य के सभी लोकसभा सीटों से होते हुए गुजरेगी।
कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट किया: “यदि किसी एनडीए / बीजेपी सरकार ने विपक्षी कार्यक्रम को रोक दिया होता तो, उसे अघोषित आपातकाल कहा जाता। अब मौन क्यों?”
Congratulations to BJP, West Bengal for the High Court Judgement in their favour.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 20, 2018
If any NDA/BJP Government had stopped an opposition Programme, it would have been called an “Undeclared Emergency”. Why Silence now?
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 20, 2018
भाजपा ने राज्य में तीन “लोकतंत्र बचाओ” रथयात्रा की योजना बनाई है: एक रथयात्रा राज्य के उत्तरी हिस्से में कूच बिहार से, एक दक्षिणी भाग में काकद्वीप से और एक और बीरभूम जिले के तारापीथ मंदिर से शुरू होगी जो कलकत्ता में आ कर एक साथ मिल जायेगी और फिर वहां भाजपा के बड़े नेता बड़ी रैली को संबोधित करेंगे।
पश्चिम बंगाल उन राज्यों में से एक है जहाँ वो अपने पाँव पसारने की कोशिश कर रही है। 2014 के बाद से भाजपा ने राज्य में अपना जनाधार बढाया है। पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव में राज्य की 42 में से 22 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने भाजपा की रणनीति पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा को अपनी 2 सीटें बचाने के बारे में सोचना चाहिए वरना क्योंकि 2019 में उसे बंगाल में रसोगुल्ला जैसे शून्य सीट मिलेगी।