विषय-सूचि
जिस नेटवर्क में सोर्स से डेस्टिनेशन तक डाटा के ट्रान्सफर के लिए बहुत सारे इंटरमीडिएट नोड्स के बीच से रास्ता बना हो उन्हें switched कम्युनिकेशन नेटवर्क कहते हैं।
स्विचिंग एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा नोड्स डाटा को कण्ट्रोल या स्विच करते हैं ताकि वो डाटा नेटवर्क के अंदर किन्ही दो पॉइंट्स के बीच में ट्रांसमिट हो सके। इसके लिए तीन स्विचिंग तकनीक हैं:
- सर्किट स्विचिंग,
- पैकेट स्विचिंग, और
- मैसेज स्विचिंग
यहाँ हम तीसरे वाले यानी मैसेज स्विचिंग और उसके characteristics को समझेंगे।
मैसेज स्विचिंग क्या है? (what is message switching in hindi)
मैसेज स्विचिंग को सर्किट स्विचिंग के एक विकल्प के तौर पर तब डिजाईन किया गया था जब पैकेट स्विचिंग अस्तित्व में नही आया था।
मैसेज स्विचिंग में एंड यूजर एक ऐसे एसेज को भेजकर और प्राप्त कर के संचार स्थापित करता है जिसमे शेयर किया जाने वाला पूरा डाटा होता है। मैसेज सबसे छोटे और अकेले यूनिट होते हैं।
इसमें एक श्यान देने वाली बात ये है कि सेंडर और रिसीवर सीधे कनेक्टेड नहीं होते। इसमें बीच में बहुत सारे नोड्स होते हैं जिन्हें हम इंटरमीडिएट नोड्स कहते हैं और वही डाटा डाटा को ट्रान्सफर करते हैं और ये देखते हैं कि डाटा डेस्टिनेशन तक सफलतापूर्वक पहुंचे। मैसेज switched डाटा नेटवर्क को इसीलिए hop-by-hop सिस्टम भी कहा जाता है।
मैसेज स्विचिंग के कार्य (functions of message switching in hindi)
ये तो अलग-अलग और महत्वपूर्ण characteristics प्रोवाइड करते हैं:
स्टोर and फॉरवर्ड
इंटरमीडिएट नोड के पास ये जिम्मेदारी होती है कि वो पूरे मैसेज को अगले नोड तक ट्रान्सफर करे। इसीलिए हर नोड के पास स्टोरेज कि क्षमता तो होनी ही होनी चाहिए।
एक मैसेज तभी सही-सलामत डिलीवर होगा जब अगला hop और उस से कनेक्ट करने वाला लिंक दोनों ही मौजूद हो नही तो ये अनिश्चित काल के लिए वहीं पर स्टोर होकर रह जाएगा।
एक स्टोर और फॉरवर्ड स्विच एक मैसेज को तभी आगे भेजता है जब पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हो और अगला hop डाटा को स्वीकार करने कि स्थिति में भी हो।इसे स्टोर and फॉरवर्ड प्रॉपर्टी भी कहते हैं।
2. मैसेज डिलीवरी
इसका मतलब हुआ पूरी सूचना को एक मैसेज में wrap कर देना और फिर इसे सोर्स से डेस्टिनेशन तक ट्रान्सफर करना। हर मैसेज के पास एक हेडर होना चाहिए जो मैसेज routing सूचना को रखे हो जिसमे सोर्स और डेस्टिनेशन का एड्रेस भी शामिल हो।
मैसेज स्विचिंग नेटवर्क के अंदर ये चीजें होती है-
- ट्रांसमिशन लिंक्स (चनेल्स),
- स्टोर and फॉरवर्ड end नोट्स, और
- end स्टेशन्स
इन सबको आप नीचे इस चित्र में देख सकते हैं-
मैसेज स्विचिंग की विशेषता (characteristics of message switching in hindi)
मैसेज स्विचिंग काफी लाभदायक है क्योंकि ये नेटवर्क संसाधनों के एफ़्फ़िकिएन्त प्रयोग को बढ़ावा देता है। और इंटरमीडिएट नोड के स्टोर and फॉरवर्ड क्षमता के कारण ट्रैफिक को भी एफ़्फ़िकिएन्त तरीके से रेगुलेट और नियंत्रित किया जा सकता है। उपर से मैसेज का टुकड़ों कि जगह एक यूनिट बनकर जाना भी एक फायदा है।
लेकिन मैसेज स्विचिंग में कुछ खामियां भी है। चूँकि हर नोड पर एक अनिश्चितकाल के लिए मैसेज को रुकना पड़ता है इसीलिए प्रत्येक स्विच के पास अच्छी-खासी स्टोरेज क्षमता भी होनी चाहिए। और ये काफी धीमा भी होता है।
ऐसा इसीलिए क्योंकि पूरे मैसेज के पहुचने तक इन्तजार तो करना ही पड़ता है और उपर से उन मैसेज को चैनल ट्रैफिक को ध्यान में रखते हुए गले नोड और लिंक्स तक प्रोसेस करने से पहले स्टोर और ट्रांसमिट भी करना पड़ता है।
इसीलिए वास्तविक समय वाले और इंटरैक्टिव एप्लीकेशन्स जैसे कि विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
मैसेज स्विचिंग के एप्लीकेशन्स (application of message switching in hindi)
स्टोर and फॉरवर्ड मेथड को टेलीग्राफ मैसेज स्विचिंग सेंटरों में पर्योग में लाया गया था। आज कल वैसे तो बहुत सारे मुख्य नेटवर्क पैकेट switched और सर्किट switched पर ही आधारित हैं, लेकिन उनकी डिलीवरी कि प्रक्रिया मैसेज स्विचिं पर आधारित हो सकती है।
उदाहरण के तौर पर अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक मेल सिस्टम में डिलीवरी कि प्रक्रिया मैसेज स्विचिंग पर ही आधारित है जबकि नेटवर्क या तो पैकेट switched या सर्किट switched हो सकता है।
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There are error in the Massage switching me 2nd paragraph. Massage. Is right and asej are wrong thanks