विषय-सूचि
CSMA क्या है? (csma in computer networks in hindi)
इस मेथड को collision की सम्भावना को कम करने के लिए विकसित किया गया था।
Collision या टकराव तब होता है जब दो या दो से अधिक स्टेशन एक साथ डाटा लिंक लेयर में सिग्नल भेजना शुरू कर देते हैं। CSMA ये निर्धारित करता है कि सभी स्टेशन सिग्नल भेजने से पहले नेटवर्क की स्थिति को जांच लें।
वल्नरेबल टाइम:
Vulnerable time = Propagation time (Tp)
1. कैरियर सेन्स मल्टीप्ल एक्सेस विथ कोलिजन डिटेक्शन (CSMA/CD in hindi)
इस प्रक्रिया में एक स्टेशन फ्रेम को भेजने के बाद माध्यम को मॉनिटर करता है और ये देखता है कि उसके द्वारा भेजा गया फ्रेम सफलतापूर्वक पहुंचा भी या नही।
अब C t3 पर A का फ्रेम देखता है और ट्रांसमिशन को भंग कर देता है। इसीलिए C के फ्रेम के लिए ट्रांसमिशन टाइम होगा (t3-t2) और A के फ्रेम के लिए होगा (t4-t1)।
इसीलिए फ्रेम ट्रांसमिशन टाइम (Tfr) propagation टाइम (Tp) का लगभग दोगुना होगा। इसे घटाया जा सकता है अगर collision में भाग लेने वाले दोनों स्टेशन अधिकतम दूरी पर हों।
प्रक्रिया
Collision Detection कि पूरी प्रक्रिया को नीचे इस चित्र में समझाया गया है-
CSMA/CD का throughput प्योर और slotted ALOHA से बहुत ही ज्यादा होता है।
- 1-persistent मेथड में जब G=1 हो तो throughput होगा 50%
- non-persistent मेथड में ये throughput 90% तक जा सकता है।
2. कैरियर सेन्स मल्टीपल एक्सेस विथ collision avoidance (CSMA/CA in hindi)
CSMA/CA के बीचे का मूल विचार यही है कि स्टेशन collision डिटेक्ट करने के लिए अलग-अलग स्टेशन को ट्रांसमिशन करते समय सिग्नल को प्राप्त करने में सक्षम होना चाहिए।
वायर्ड नेटवर्क में जब collision हो जाता है तो प्राप्त हुए सिग्नल कि ऊर्जा दोगुनी हो जाती है और स्टेशन collision कि सम्भावना को सेन्स कर सकता है।
वहीं वायरलेस नेटवर्क के केस में अधिकतर ऊर्जा ट्रांसमिशन में प्रयोग हो जाती है अगर collision हो भी जाये तो प्राप्त हुए सिग्नल की ऊर्जा सिर्फ 5-10% ही बढती है। इसीलिए इसका प्रयोग स्टेशन द्वारा collision सेन्स करने के लिए नहीं किया जा सकता।
यही कारण है कि CSMA/CA को ख़ास तौर पर वायरलेस नेटवर्क्स के लिए विकसित किया गया है।
इसमें तीन तरह की रणनीति होती है:
- इंटरफ्रेम स्पेस (IFS)– जब कोई स्टेशन चैनल को व्यस्त पाता है तो ये एक समयावधि के लिए भेजता है जिसे IFS टाइम कहते हैं। आईएफएस का प्रयोग स्टेशन कि प्रायोरिटी को परिभाषित करने के लिए भी किया जाता है। जितना ज्यादा IFS होगा उतनी ही कम प्रायोरिटी।
- Contention विंडो– ये समय कि एक मात्रा है जिसे दो स्लॉट में विभाजित किया गया है। अगर कोई स्टेशन फ्रेम भेजने के लिए तैयार है तो ये रैंडम संख्या में स्लॉट को Wait Time के तौर पर चुन सकता है।
- Acknowledgements– पॉजिटिव acknowledgement या फिर टाइम-आउट टाइमर सफलतापूर्वक हुए ट्रांसमिशन कि गारंटी देने में मदद करता है।
प्रक्रिया
Collision Avoidance कि पूरी प्रक्रिया को नीचे इस चित्र में दिखाया गया है:
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