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    किसान

    हाल ही में सरकार द्वारा लिए गए किसानों की फसलों के एवज में ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने’ को बढ़ाए जाने के बाद भी किसानों को उनकी फसलों के एवज में कोई बेहतर कीमत नहीं मिल रही है।

    देश की तमाम मंडियों में खरीफ की फसलें अब आना शुरू हो गईं हैं, लेकिन एमएसपी बढ़ने के बावजूद किसानों की फसलों के लिए उन्हें पुराने दाम ही मिल रहे हैं। किसानों के लिए ये बेहद चिंता का विषय है, एक ओर जहां किसानों  की काफी फसल तमाम कारणों से बर्बाद हो जा रही है, वहीं दूसरी ओर उन्हें उनकी फसल के एवज में वाजिब मूल्य भी नहीं मिल रहा है।

    इस क्रम में दालों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है।

    सूत्रों की माने तो सरकार द्वारा हाल ही में निर्धारित खरीफ की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की तुलना में वास्तविक मूल्यों में 25% तक का अंतर है। ऐसे में किसानों को घाटे के सिवा कुछ भी हासिल नहीं हो रहा है।

    किसान संघ ने इस बाबत अपना विरोध जाता कर सरकार से पूछा है कि यदि किसानों को इसी तरह से उनकी फसलों के दाम मिलेंगे, तो फिर एमएसपी बढ़ाने का क्या लाभ?

    नीचे दी गयी जानकारी से स्पष्ट है कि सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी व किसानों को मिलने वाले असल मूल्य में कितना अंतर है-

    सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी व विभिन्न मंडियों में किसानों को फसलों के एवज़ में मिल रहे वास्तविक दाम का तुलनात्मक आध्यन

    गौरतलब है की बीजेपी की सत्ता वाली केंद्र सरकार ने 2020 तक किसानों की आय को बढ़ाकर दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।

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