आम आदमी पार्टी के नेता एच एस फुल्का ने पार्टी से अपना इस्तीफ़ा दे दिया है। हालाँकि अभी तक उनके इस्तीफे के कारणों का पता नहीं चला है क्योंकि फुल्का ने 4 बजे शाम को प्रेस कांफ्रेंस करने की घोषणा की है।
आम आदमी पार्टी के नेता होने से अधिक फुल्का 1984 के सिख दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने की अपनी कोशिशों के लिए जाने गए। 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में गठबंधन की सुगबुगाहट के बीच फुल्का ने कहा था कि अगर गठबंधन हुआ तो वो पार्टी से इस्तीफ़ा दे देंगे लेकिन अब जबकि पार्टी ने ये साफ कर दिया है कि वो दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में अकेले चुनाव लड़ेगी तो ऐसे में फुल्का का इस्तीफ़ा चौंकाने वाला है।
आम आदमी पार्टी के सूत्रों की माने तो फुल्का ने अपना इस्तीफ़ा इसलिए सौंपा है ताकि वो सिख दंगा पीड़ितों के केस पर ध्यान केन्द्रित कर सकें।
2017 में पंजाब चुनाव के बाद फुल्का को नेता विपक्ष बनाया गया था लेकिन उइन्होने थोड़े समय बाद ये कहते हुए नेता विपक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया कि वो 84 के दंगो से सम्बंधित केस पर ध्यान केन्द्रित करना चाहते हैं। उसके कुछ समय बाद उन्होंने विधायकी से भी इस्तीफ़ा दे दिया था।
इस्तीफ़ा के बाद जन उनसे पूछा गया कि क्या दिल्ली विधानसभा में राजीव गाँधी से भारत रत्न वापस लेने वाले प्रस्ताव से पार्टी का किनारा करने के कारण वो इस्तीफ़ा दे रहे हैं तो उन्होंने कहा “सिर्फ ये ही एक कारण नहीं है, और भी कई कारण है।” शुक्रवार शाम 4 बजे प्रेस कांफ्रेंस कर के फुल्का अपने इस्तीफे के कारणों का खुलासा करेंगे और आगे की रणनीति के बारे में भी बताएँगे।
फुल्का के पार्टी छोड़ कर जाने के बाद आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन चांदनी चौक से पार्टी की विधायक अलका लाम्बा ने इशारों इशारों में ट्वीट कर पार्टी अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल पर निशाना साधा।
तीन तरह के लोग:
एक वो जो 2012 से पहले थे,
एक वो जो 2012 के बाद आये,
एक वो जो 2015 के बाद आये,
2012 के पहले वाले गए तो अधिक नुकसान होगा,
2012 के बाद वाले गए तो नुकसान होगा,
2015 के बाद वाले गए तो नुकसान नही होगा।आंकलन करने की जरूरत।
संगठन से सरकार बनती है,
सरकार से संगठन नही।— Alka Lamba (@LambaAlka) January 3, 2019
आम आदमी पार्टी से किनारे कर दिए गए कुमार विश्वास ने भी फुल्का के इस्तीफे के लिए अप्रत्यक्ष रूप से अरविन्द केजरीवाल पर निशाना साधा।
आत्ममुग्ध असुरक्षित बौने की निजी अंहकार मंडित नीचता के नाम एक और खुद्दार-शानदार योद्धा की ख़ामोश क़ुरबानी मुबारक हो ! अपनी स्वराज वाली बची-खुची एक आँख फोड़कर सत्ता के रीढ़विहीन “अंधों का सरदार” बनना वीभत्स और कायराना है 👎👎
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) January 3, 2019