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    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प

    अमेरिका ने ईरान के साथ परमाणु संधि तोड़ प्रतिबन्ध लगा दिए थे। अमेरिका ने सभी देशों की छह माह की मोहलत दी थी कि वह ईरान से तेल सौदेबाज़ी बंद कर दें। दूसरे चरण के प्रतिबन्ध पर अमेरिकी प्रशासन ने कहा कि सोमवार से ईरान पर लागू होने वाले प्रतिबन्ध अब तक के सबसे कठोर प्रतिबन्ध है। उन्होंने कहा कि यह प्रतिबन्ध ईरानी सरकार के होश उड़ा देंगे।

    इन प्रतिबंधों से ईरान की ऊर्जा और बैंकिंग प्रणाली बुरी तरह प्रभावित होगी। अमेरिका ने चेतावनी दी है कि यूरोप, एशिया और अन्य जगहों कि कंपनियां अगर ईरान से तेल खरीदेगी, तो उस पर प्रतिबन्ध लगाये जायेंगे। ईरान के तेल खरीददारों की फेरहिस्त में भारत और चीन पहले व दूसरे पायदान पर है।

    ट्रम्प प्रशासन ने कहा कि तुर्की, इराक, इटली, जापान और दस्खिं कोरिया जल्द ही ईरान से तेल आयात शून्य कर लें। भारत और चीन को रियायत बरतने पर अमेरिकी राज्य सचिव ने कोई जवाब नहीं दिया था। माइक पोम्पेओ ने कहा कि देखिये, हम क्या करते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प की नीति को साकार होते हुए देखिये। उन्होंने कहा कि अमेरिकी उपभोक्ताओं की परेशानियों से निपटने के लिए हमने सभी योजना बना ली है।

    माइक पोम्पेओ ने कहा कि दोबारा लागू हुए प्रतिबंधो से ईरान की तेल और आर्थिक हालात खराब हो जायेंगे। उन्होंने कहा यह प्रतिबन्ध इस देश पर अब तक के सबसे कठोर हैं। उन्होंने कहा कि ईरान विश्व का सबसे बड़ा आतंक का समर्थक है, उसने यूरोप में कई खतरनाक अभियान चलाये हैं। उन्होंने कहा कि हमने ईरान से लाखों टन तेल का आयत रुकवा दिया है, जिसका असर उनकी अर्थव्यवस्था पर दिखने लगा है।

    भारत को तेल आयत पर रियायत बरतने और चाहबर बंदरगाह परियोजना के विस्तार में छूट के बाबत अमेरिकी प्रशासन ने कोई जवाब नहीं दिया है। माइक पोम्पेओ ने कहा कि यूरोपियन कंपनियों को ईरान और अमेरिका के साथ बिज़नेस करने की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि समूचा विश्व समझता है कि यह प्रतिबन्ध महत्वपूर्ण और असरदार है। यह ईरानी जनता के लिए ईरान में परिवर्तन करने का एक सुहारा अवसर है। ईरानी जनता नहीं चाहती कि उनकी खून-पसीने की मेहनत आतंकवाद को बढ़ावा देने में इस्तेमाल की जाये।

    साल 2015 में ईरान और अमेरिका के मध्य हुई परमाणु संधि की डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते मई में तोड़ दिया था। इस संधि के तहत ईरान ने परमाणु कार्यक्रम रोकने के लिए हामी भरी थी बशर्ते अमेरिका को ईरान से आर्थिक प्रतिबन्ध हटाने थे।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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