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    डोनाल्ड ट्रम्प भारत

    अमेरिका द्वारा ईरान पर परमाणु कार्यक्रमों को लेकर लगाए गए प्रतिबंधो के बाद आई अमेरिका की धमकी के चलते लगभग सभी देशों ने ईरान के साथ तेल संबंधी व्यापार को नवंबर तक खत्म करने का निश्चय किया है, जिसके तहत भारत ने भी ईरान से तेल आयात की मात्रा में कटौती की है, लेकिन अब भारत अमेरिका से इन प्रतिबंधों में थोड़ी छूट चाहता है।

    तेहरान और अन्य देशों के बीच होने वाली न्यूक्लियर डील के अमेरिका के हटने के साथ ही अब अमेरिका ने ईरान पर नए सिरे से प्रतिबंध लगाने का निर्णय किया है।

    लेकिन इस घोषणा के साथ अमेरिका ने ये इशारा भी दिया है कि ‘चूंकि भारत ने अमेरिका की चेतावनी के बाद से ही ईरान से आयात किए जाने तेल की मात्रा में कमी लानी शुरू कर दी है, ऐसे में भारत को कम मात्रा में ही सही लेकिन नवंबर के बाद भी ईरान से तेल लेने कि छूट मिल सकती है।’

    इस फैसले से यह साफ़ है कि अमेरिका भारत अमेरिका सम्बन्ध को इतनी आसानी से कमजोर होने नहीं देना चाहता है।

    भारत फिलहाल ईरान से आयात किए जाने वाले तेल में कटौती कर रहा है, लेकिन वह नवंबर के बाद भी ईरान से तेल की खरीद को जारी रख सकता है।

    इसी संदर्भ में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया है कि केंद्र सरकार इन छूट को लेकर संबन्धित अथॉरिटी से बातचीत कर रही है। इसी के साथ प्रधान ने कहा है कि हमें किसी भी हालत में तेल को लेकर घरेलू मांग को पूरा करना ही होगा। इस तरह से उन्होने एक इशारा देते हुए बताया है कि भारत आगे अभी ईरान से तेल की खरीद को जारी रखेगा।

    मालूम हो कि भारत चीन के बाद ईरान का सबसे बड़ा तेल ग्राहक है, हालाँकि चीन को अमेरिका द्वारा लगाए प्रतिबंधों से कोई फर्क नहीं पड़ा है, वो पहले की ही भांति ईरान से तेल का आयात करता रहेगा।

    इसी क्रम में भारत नवंबर में ईरान से करीब 90 लाख बैरल तेल लेने का विचार बना रहा है। हालाँकि प्रतिबंधों को पूरी तरह मान लेने केबाद भारत के लिए ईरान से तेल आयात को अचानक रोकना इतना आसान नहीं होगा, इसके लिए देश को नए आपूर्तिकर्ता का चुनाव करना पड़ेगा तथा तेल ट्रांसपोर्ट सहित अन्य जरूरी सुविधाओं की व्यवस्था भी करनी होगी।

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