ईरान की इलीट पैरामिलिट्री रेवलूशनरी गार्ड्स कॉर्प फाॅर्स को सहायता करने वाले कंपनियों के नेटवर्क और व्यक्तियों पर अमेरिका ने मंगलवार को प्रतिबन्ध थोप दिए हैं। रायटर्स के मुताबिक अमेरिकी ट्रेज़री सेक्रेटरी स्टीवन मनुचिन से कहा कि “हम उन कंपनियों के विस्तृत नेटवर्क और व्यक्तियों पर निशाना साध रहे हैं जो ईरान, तुर्की और यूएई में बैठकर अवैध रूप से ईरानी सरकार को करोड़ो रूपए का फंड दे रहे हैं।”
कई कंपनियों पर प्रतिबंधों की गाज
25 कंपनियों और लोगों को अभी तक ब्लैकलिस्ट में डाल दिया गया है इसमें अंसार बैंक, ईरानी एटलस कंपनी शामिल है। साल 2018 में डोनाल्ड ट्रम्प ने साल 2015 में हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था और ईरान पर दोबारा प्रतिबन्ध लगा दिए थे। जिसके प्रभाव ईरानी अर्थव्यवस्था में दिखने लगे हैं।
अमेरिका ने ईरान पर आरोप लगाया कि वह संधि की सभी शर्तों को पूरा नहीं कर रहा है। डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के सबसे ताकतवर सुरक्षा संगठन आईआरजीसी पर भी प्रतिबंधों की दीवार गिरा सकते हैं। इस समूह की फंडिंग को निगरानी में रखा गया है।
सबसे कठोर प्रतिबंधों ने ईरानी अर्थव्यवस्था को कमर तोड़ दी है। तेहरान की मुद्रा रियाल निरंतर गिरती जा रही है। तेल के निर्यात में भी भारी कमी आयी है।
न जंग और न बातचीत होगी
13 अगस्त 2018 को ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खमनी नें अमेरिका से वार्ता करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। सुप्रीम लीडर नें अपने भाषण में कहा था, “ना हम जंग लड़ेंगे और ना ही अमेरिका से समझौता करेंगे।”
ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने हाल ही में कहा था कि अमेरिका के प्रतिबन्ध आर्थिक आतंकवाद की तरह है। उन्होंने कहा कि सम्मानीय राष्ट्र ईरान के खिलाफ अमेरिका के अन्याय और गैर कानूनी तेल और अन्य उत्पादों पर प्रतिबन्ध एक सीधा आर्थिक आतंकवाद है।
आर्थिक कठियानियों से जूझते ट्रक ड्राईवरों, किसानों और व्यापारियों ने अर्थव्यवस्था की बिगडती हालात के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कई मौकों पर ईरान के सुरक्षा सैनिकों के साथ झड़प भी हुई है। दिसंबर में आयोजित सुरक्षा परिषद् की बैठक में अमेरिकी रक्षा सचिव माइक पोम्पिओ ने संस्था से आग्रह किया कि ईरान को बैलिस्टिक मिसाइल की गतिविधियों को रोकने के लिए कठोर भाषा में समझाना आवश्यक है।
चाबहार के जरिये अमेरिका से लड़ेगा ईरान
ईरान नें हालाँकि अमेरिका के आर्थिक प्रतिबंधों से लड़ने के लिए विकल्प खोजने शुरू कर दिए हैं। ईरान नें हाल ही में चाबहार बंदरगाह को विकसित करने की योजना बनाई थी, जो एक्सपर्ट के मुताबिक ईरान को आर्थिक शक्ति बनने में मदद करेंगे।
चाबहार बंदरगाह पाकिस्तानी सीमा से सिर्फ 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और हिंद महासगार पर स्थित है।
इस कारण से भारत, जापान जैसे देशों की नजरें इसपर है। इस बंदरगाह की बेहद अहम रणनीतिक जरुरत है, अफगानिस्तान की पाकिस्तान पर निर्भरता को कम करने के लिए यहां एक रेलवे लाइन का निर्माण किया जायेगा। इसके जरिये काबुल समस्त विश्व, विशेषकर भारत के साथ व्यापार कर सकेगा।
साल 2018 में डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने आर्थिक प्रतिबंधों से भारत के आग्रह पर ईरान के चाबहार बंदरगाह को रियायत दी थी।
हाल ही में भारत नें ईरान के चाबहार बंदरगाह पर संचालन शुरू कर दिया था। आने वाले सालों में भारत ईरान में अरबों डॉलर का निवेश करने जा रहा है।
इसके अलावा यह भारत की उत्तर-दक्षिण व्यापार गलियारे में भी अहम् भूमिका निभाएगा। इस गलियारे के तहत भारत मध्य एशिया और यूरोप तक अपनी पहुँच को बढ़ाना चाहता है।