लगभग तीन महीनों बाद अपने पद पर लौटने के बाद, सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने बुधवार वाले दिन एम नागेश्वर राव द्वारा दिए ज्यादातर स्थानान्तरण रद्द कर दिए है। उनकी अनुपस्थिति में, नागेश्वर को अंतरिम प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था।
राव ने आलोक वर्मा की टीम के दस अधिकारियों के स्थानान्तरण पर हस्ताक्षर कर दिए थे। इसमें राकेश अस्थाना के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार मामले की जाँच पड़ताल करने वाले एके बस्सी, एमके सिन्हा और एके शर्मा भी शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, आलोक वर्मा ने फिर से सीबीआई निदेशक की मंगलवार से कमान संभाली है और आते ही ये बड़ा फैसला भी ले लिया। मगर शीर्ष कोर्ट ने ये भी कहा कि आलोक वर्मा कोई भी नीतिगत फैसला नहीं ले पाएँगे।
सूत्रों का कहना है कि वर्मा अभी भी प्रथम सूचना रिपोर्ट दायर कर सकते हैं और स्थानान्तरण को रद्द कर सकते हैं। उन्होंने इस मामले में भी बहस की कि अंतरिम प्रमुख नागेश्वर राव ने भी ये फैसला, सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें नियुक्त करने के बाद लिया।
वर्मा का कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म हो जाएगा। भाजपा द्वारा सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और उनके डिप्टी राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजा गया था क्योंकि दोनों ने एक दूसरे के ऊपर जाँच एजेंसी में भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाये थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा को फिर से पद संभालने का निर्देश दे दिया मगर अस्थाना अभी भी छुट्टी पर ही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा से उनके खिलाफ अस्थाना द्वारा लगे इल्ज़ामो की सतर्कता रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देने के लिए भी कहा। उनके ऊपर हैदराबाद के एक व्यापारी से घूस लेने का आरोप लगा है कि जिनकी जाँच सीबीआई कर रही थी। वर्मा ने भी अस्थाना पर इसी जुर्म से संबधित आरोप लगाया है।