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    मुंबई, 6 जून (आईएएनएस)| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) में वाणिज्यिक बैंकों के लिए 25 आधार अंकों की कटौती की, जिसके बाद प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट अब 5.75 फीसदी हो गई है, जो पिछले नौ साल का सबसे निचला स्तर है। इस साल रेपो रेट में तीसरी बार कटौती की गई है।

    आरबीआई ने अप्रैल ने अपने प्रमुख ब्याज दरों में 25 आधार अंकों (बीपीएस) की कटौती की थी, जिसके बाद यह 6 फीसदी हो गया था। इससे पहले फरवरी में एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) ने 25 बीपीएस की कटौती की थी, जिसके बाद रेपो रेट 6.25 फीसदी थी।

    इसके अलावा, आरबीआई ने मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ से नरम बनाया है। इस तरह के कदम की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आरबीआई ने वित्तवर्ष 2019-20 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर के अपने अनुमान में कटौती करते हुए इसे 7.2 फीसदी से घटाकर सात फीसदी कर दिया है।

    आरबीआई के गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि बैंक इसका लाभ जल्द ग्राहकों तक पहुंचाए। साथ ही, ग्राहकों को इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले।

    प्रमुख दरों में कटौती के बाद बैंक द्वारा ग्राहकों को इसका पूरा-पूरा फायदा हस्तांतरित हस्तांतरण नहीं होने से ग्राहकों को प्रमुख दरों में कटौती के बाद भी उच्च ईएमआई चुकाना पड़ता है और कॉर्पोरेट्स को भी उच्च दर पर अपने कर्ज का पुनर्भुगतान करना पड़ता है।

    रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पावधि ऋण मुहैया करवाता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों से जमा प्राप्त करता है।

    केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने चालू वित्तवर्ष की दूसरी मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो रेट में कटौती करने का फैसला लिया।

    आरबीआई के बयान के अनुसार, निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) में कमी और निर्यात में नरमी की वजहों से एमसीपी ने ब्या दर में कटौती करने का फैसला लिया।

    फिलहाल, उच्च ब्याज दरें और तरलता के संकट के कारण वाहन, आवास और पूंजीगत वस्तुओं के खरीदारों की भावनाएं हतोत्साहित हैं, यहां तक कि प्रमुख संकेतकों से पता चलता है कि केवल सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में ही तेजी है।

    कम रेपो या प्रमुख ब्याज दरों में कटौती होने से आगे वाणिज्यिक बैंक ऑटोमोबाइल और आवासीय ऋणों की दरों में कमी करेंगे, जिससे आगे आर्थिक विकास को रफ्तार मिलेगी।

    रेपो रेट या वाणिज्यिक बैंक के अल्पकालिक कर्ज दर में कमी होने से वाहन और आवास ऋण की ब्याज लागत कम हो जाती है, जिससे इन क्षेत्रों में वृद्धि दर तेज हो जाती है।

    आरबीआई के नीतिगत बयान में कहा गया, “निवेश गतिविधियों में तेज गिरावट के साथ निजी खपत की वृद्धि दर में मंदी चिंता का विषय है। मुद्रास्फीति की उच्च दर हालांकि लक्ष्य से कम है। इसलिए आरबीआई को रेपो रेट में कटौती का मौका मिला है।”

    हालांकि शेयर बाजार के निवेशक रेपो दर में उम्मीद से कम कटौती होने के कारण निराश हैं। गुरुवार को सेंसेक्स 553.82 अंकों या 1.38 फीसदी की गिरावट के साथ 39,529.72 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 177.90 अंकों या 1.48 फीसदी की गिरावट के साथ 11,843.75 पर बंद हुआ।

    एचडीएफसी सिक्युरिटीज के रिटेल रिसर्च के प्रमुख दीपक जासानी ने कहा, “बाजार इस तथ्य से निराश है कि तत्काल तरलता बढ़ाने वाले उपाय नहीं किए गए, जिसे घोषित किया गया था। हालांकि आरबीआई ने एक कार्यबल का गठन किया है। लेकिन निवेशक डीएचएफएल के डिफाल्ट को देखते हुए दरों में उम्मीद से कम कटौती के कारण निराश हैं।”

    भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा, “आरबीआई द्वारा नीतिगत रुख में बदलाव लाते हुए इसे समायोजी बनाए जाने से वित्तीय तंत्र को ब्याज दरों को कम करने आर्थिक विकास का समायोजन करने में मदद मिलेगी।”

    एसोचैम के प्रेसिडेंट बी. के. गोयनका ने कहा, “आरबीआई द्वारा बेंचमार्क ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कटौती स्वागत योग्य कदम है। साथ ही, केंद्रीय बैंक द्वारा तटस्थ रुख में बदलाव के साथ नरम रुख अपनाना भी महत्वपूर्ण है। इन कदमों से आर्थिक विकास को फिर से रफ्तार मिलेगी और कारोबारी रुझान बढ़ेगा।”

    उद्योग संगठन फिक्की के प्रेसिडेंट संदीप सोमानी ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि लगातार तीसरी बार प्रमुख ब्याज दर में कटौती का प्रभावकारी ढंग से हस्तांतरण होगा और बैंक खुदरा व कॉरपोरेट कर्ज की ब्जाज दरों में कटौती करेंगे। तरलता का अभाव होने के कारण अब तक यह हस्तांतरण कमजोर और अप्रभावी रहा है।”

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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