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    केंद्र सरकार और आरबीआई

    भारतीय रिज़र्व बैंक का बोर्ड जिसमे वर्तमान गवर्नर शक्तिकांत दास भी थे, ने मोदी सरकार को नोटबंदी करने से पहले ही चेता दिया था की जिस लक्ष्य को ध्यान में रखकर यह कदम उठाया जा रहा है, वह लक्ष्य हासिल नहीं हो सकेगा बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था और आर्थिक विकास पर अल्पकालिक नकारात्मक प्रभाव होगा और धन के खतरे पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं होगा।

    नोटबंदी से 2 घंटे पहले हुई थी यह बैठक :

    फाइनेंसियल एक्सप्रेस नें बताया, आरटीआई के तहत प्रदर्शित की गयी जानकारी के अनुसार आरबीआई सेंट्रल बैंक और नरेन्द्र मोदी की नोटबंदी करने से 2 घंटे पहले ही एक बैठक हुई थी जिसमे नरेन्द्र मोदी को नोटबंदी से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में चेताया था। हालांकि इसके 2 घंटे बाद 8 नवम्बर 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा कर 1000 और 500 रूपए के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था।

    निर्णायक बोर्ड की बैठक की जानकारी में , जिसने सरकार के नोटबंदी के अनुरोध को मंजूरी दे दी, तत्कालीन आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल और तत्कालीन आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास की उपस्थिति भी दर्ज की गयी थी। बोर्ड की बैठक में अन्य लोगों में तत्कालीन वित्तीय सेवा सचिव अंजुली चिब दुग्गल, और आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर गांधी और एस एस सुंद्रा शामिल थे। गांधी और मुंद्रा दोनों अब बोर्ड का हिस्सा नहीं हैं, जबकि दास को दिसंबर 2018 में आरबीआई गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया था।

    इस तरह हुई नोटबंदी फेल :

    प्रधानमंत्री ने काले धन की समस्या के निवारण के लिए,और जाली नोटों के वितरण को रोकने के उद्देश्य से उच्च मूल्य के करेंसी नोटों के विमुद्रीकरण की घोषणा की थी।

    जब 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा हुई थी, उस समय 15.41 करोड़ की मात्रा के 500 रुपये के 1000 रुपये के नोट चलन में थे जिनमे से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट 50 दिन में वापस आ गए थे। केवल 10,720 करोड़ रुपये के मुद्रा नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस नहीं आए, शेष 99.9 प्रतिशत जमा किये जा चुके थे जो कि विमुद्रीकरण के माध्यम से काले धन पर अंकुश लगाने के सरकार के प्रयास पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया था।

    ये थे नोटबंदी की असफलता के कारण :

    नोटबंदी की संभव असफलता के मुख्य कारण इसकी घोषणा होने से पहले हुई बैठक में ही चर्चित कर लिए गए थे। मीटिंग में बताया गया था की काले धन को नकदी के रूप में न रखकर सोने के रूप में या रियल एस्टेट के रूप में लोगों के द्वारा रखा जाता है।

    इसके अलावा इसका यह कारण भी था की सरकार द्वारा नोटबंदी पूर्ण रूप से नहीं हो पायी थी क्योंकि सरकार ने इस घोषणा में कहा था की ये नोट पेट्रोल पंप पर और सरकारी कार्यालय में स्वीकार किये जायेंगे। सरकार ने बैंक से पुराने नोटों को बदलने की सुविधा दी थी। सूत्रों के अनुसार जिन लोगों के पास नकदी के रूप में काला धन था उन्होंने अनाम पेमेंट करके नोट बदलवा लिए थे जिससे कालाधन पर सरकार नियंत्रण नहीं कर पायी।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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