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    MAYAWATI

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव का बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने समर्थन देने का फैसला किया है। एएनआई से बात करते हुए मायावती ने कहा कि वो सामान्य वर्ग के कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले का स्वागत करती है और इस मुद्दे पर सरकार को पूरा समर्थन देंगी। लेकिन साथ ही उन्होंने इसे सरकार का राजनितिक लाभ लेने का हथकंडा भी बता दिया।

    कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP) और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस कदम पर सरकार पर निशाना साधा। जहां कांग्रेस ने इसे चुनावी हथकंडा बताया, वहीं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने सवाल किया कि सरकार द्वारा शुरू किया गया कदम संवैधानिक है या नहीं।

    केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की रिपोर्ट आने के तुरंत बाद, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उर्दू कहावत “बहुत देर कर दी हुज़ूर आते आते” का हवाला देते हुए सरकार पर कटाक्ष किया।

    रावत ने कहा, “बहुत देर कर दी मेहरबान आते आते, वह भी जब चुनाव ने चारो ओर से सरकार को घेर रखा है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे क्या करते हैं, ‘जुमले’ क्या देते हैं। सरकार अब कुछ भी कर ले वो बचने वाली नहीं है।

    इस मुद्दे पर बात करते हुए आम आदमी पार्टी सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, “सरकार को संसद सत्र का विस्तार करना चाहिए और तुरंत संविधान संशोधन लाना चाहिए। नहीं तो ये साबित हो जाएगा कि ये केवल चुनावी स्टंट है।”

    इस बीच, ममता बनर्जी ने सरकार द्वारा इस कदम की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा, “मेरे सवाल हैं कि वे 50 से 60% कोटा कैसे बढ़ा सकते हैं? यदि वे कानूनी दृष्टि से संतुष्ट हो सकते हैं, तो मुझे कोई समस्या नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुसार, जिसके अनुसार 50% से अधिक कोई भी आरक्षण असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि कोटा 50% से अधिक नहीं होना चाहिए। 50% से अधिक कोई भी आरक्षण समाप्त हो जाएगा।”

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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