2019 के लोकसभा चुनावों की उलटी गिनती अब शुरू हो चुकी है। आम आदमी पार्टी अभी से ही अपनी तैयारियों में जुट गई है। पार्टी को लगता है कि दिल्ली में कांग्रेस पूरी तरह ख़त्म हो चुकी है इसलिए अब पार्टी ने भाजपा को अपना मुख्य प्रतिद्वंदी मानते हुए उसके खिलाफ नई रणनीति बनाने में जुट गई है।
दिल्ली में लोकसभा की 7 सीटें हैं। 2014 में भाजपा ने सातों सीटें जीत कर आम आदमी पार्टी का सूपड़ा साफ़ कर दिया था।
पार्टी ने भाजपा से सातों सीटें छिनने के लिए क्षेत्रवार रणनीति बनाने के लिए और ग्रामीण और समाज के अन्य समुदायों को अपने पाले में करने के लिए नई रणनीति बनाने में जुट गई है।
पार्टी के नेता गोपाल राय कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के चुनाव पूर्व गठबंधन की संभावनाओं से इनकार किया है। राय के अनुसार आम आदमी पार्टी में अकेले भाजपा को परस्त करने की क्षमता है।
दिल्ली सरकार में श्रम मंत्री का पदभार सँभालने वाले राय कहते हैं कि 2019 लोकसभा चुनावों में दिल्ली में कांग्रेस किसी मुकाबले में है ही नहीं। वो ‘आप’ का सीधा मुकाबला भाजपा के साथ मानते है।
उत्तर-पश्चिम दिल्ली सीट के लिए पार्टी की रणनीति के बारे में बात करते हुए राय कहते हैं कि आम आदमी पार्टी पिछले लोकसभा चुनावों में ग्रामीण क्षेत्रों में समर्थन पाने में नाकाम रही थी और अब निर्वाचन क्षेत्र के लिए पार्टी प्रभारी गुगन सिंह इस पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं और संपर्क अभियान चला रहे हैं।
लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी के प्रभारी ही संभवतः अपनी अपनी सीटों से 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार हो सकते हैं।
वो कहते हैं कि व्यवसयिक क्षेत्र चांदनी चौक लोकसभा सीट पर पार्टी के प्रभारी पंकज गुप्ता अभी से ही छोटे छोटे मीटिंग करना शुरू कर चुके हैं। 2014 लोकसभा चुनाव में केन्द्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने आप उम्मीदवार आशुतोष को हराया था।
पूर्वी दिल्ली सीट पर पार्टी प्रभारी आतिशी ने भी रिहायशी इलाकों में जनसंपर्क अभियान चलाना शुरू कर दिया है। और राय कहते हैं कि उन्हें जनता से बहुत ही अच्छा सहयोग मिल रहा है। गोपाल राय ये भी कहते हैं कि किसी भी विधायक को लोकसभा का टिकट नहीं मिलेगा इस बार।
2015 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 54.34 फीसदी वोट हासिल किये थे जबकि भाजपा ने 32.19 फीसदी और कांग्रेस ने 9.65 फीसदी वोट हासिल किये थे।