हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आधार को लेकर अपनी सुनवाई को पूरा करते हुए इसपर अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि “आधार संवैधानिक रूप से वैध है, मगर इसे बैंक अकाउंट खोलने व सिम कार्ड जारी करने के लिए अनिवार्य नहीं किया जा सकता है।”
हालाँकि इस बात को और भी स्पष्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकारी परियोजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार की अनिवार्यता जरूरी नहीं है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि पैन कार्ड बनवाने के लिए आधार अनिवार्य है।
सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के बाद अब जियो व पेटीएम संशय की स्थिति में आ गए हैं। एक ओर जहाँ पेटीएम ने केवाईसी योजना के तहत अपने ग्राहकों के लिए उनके पेटीएम अकाउंट से आधार को जोड़ना अनिवार्य कर दिया था।
वहीं दूसरी ओर 2016 से शुरू हुई जियो भी अपने पहले दिन से ही अपने ग्राहकों की पहचान के प्रमाण के रूप में आधार की मांग कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश इन दोनों ही कंपनियों को अब नए सिरे से विचार करने पर मजबूर कर देगा। माना जाता है कि पेटीएम के प्रमुख विजय शेखर शर्मा तथा जियो की पितृ कंपनी रिलायंस के मुखिया मुकेश अंबानी की बीजेपी सरकार व प्रधानमंत्री मोदी से काफी नजदीकी है।
प्रधानमंत्री मोदी की महत्वकांक्षी परियोजना ‘आधार’ का प्रचार करने व इसे और सफलता से लागू करने में जियो व पेटीएम का भी बड़ा हाथ है।
गौरतलब है कि पेटीएम कंपनी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित नोटेबन्दी के बाद बहुत तेज़ी से आगे बढ़ती हुई नज़र आई है तथा बीजेपी कार्यकाल के दौरान ही जियो ने भी भारत में अपना बाज़ार काफी मजबूत कर लिया है।
अब देखना ये है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जियो व पेटीएम अपनी आगे की योजना किस तरह से तैयार करती हैं।