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    आउटपुट डिवाइस output devices in hindi

    विषय-सूचि

    आउटपुट उपकरण की परिभाषा (output device definition in hindi)

    परिभाषा – आउटपुट उपकरण कम्प्युटर के बाहर किसी भी तरह के दिशा निर्देश देने के काम आता है।

    आउटपुट डिवाइस के उदाहरण (output device list in hindi)

    कुछ आउटपुट उपकरण होते हैं जो की कम्प्युटर में काफी काम आते हैं–

    1. मॉनिटर (computer monitor in hindi)

    इसे हम विज्वल डिस्प्ले यूनिट (VDU) भी बोलते हैं। यह छोटे छोटे बिन्दुओं की मदद से इमेज को बनाता है जिसे हम पीक्सल्स बोलते हैं जो की आयताकार आकार में होते हैं। इमेज की अच्छी क्वालिटी पिक्सल पर निर्भर करती है।  

    दो तरह की मॉनिटर स्क्रीन होती हैं वह कुछ इस प्रकार है –

    1. कैथोड़ रेय ट्यूब मॉनिटर (cathode raytube monitor)– सीआरटी का डिस्प्ले छोटे छोटे पिक्सलस की मदद से बनाया जाता है। जितने छोटे पिक्सल होंगे उतनी ही बेहतर स्क्रीन पर इमेज की क्वालिटी दिखेगी। एक समय पर स्क्रीन पर कुछ ही चीज़ें दिखाई जाती है जितनी उसकी क्षमता होती है। स्क्रीन कुछ छोटे छोटे बॉक्सों के रूप में विभाजित होती है। ज़्यादातर स्क्रीन में क्षैतिज तौर पर 80 कैरक्टर तक दिखाने की क्षमता होती है और लम्बवत तौर पर 25 लाइन तक की क्षमता होती है। इसके कुछ नुकसान भी हैं जैसे की इसका आकार बड़ा होता है और इसमे बिजली का भी ज्यादा उपयोग होता है।
    2. फ्लैट पैनल डिस्प्ले मॉनिटर (flat panel display monitor)– फ्लैट पैनल डिस्प्ले बेहतर विडियो दिखाने का काम करता है, उसमे कम वजन के साथ साथ बिजली की खपत भी कम होती है। आप इनको दीवार पर लटकाकर या फिर अपने हाथ पर पहनकर रख सकते हैं। फ्लैट पैनल डिस्प्ले को हम कैल्कुलेटर, विडियो गेम, मॉनिटर, लैपटाप, कम्प्युटर और ग्राफिक डिस्प्ले में इस्तेमाल करते हैं।

    इस फ्लैट पैनल डिस्प्ले की दो श्रेणी होती है:

    • एमिस्सीव डिस्प्ले (Emissive display) – इस तरह के डिस्प्ले इलैक्ट्रिकल शक्ति को लाइट में बदलने का काम करते हैं। उदाहरण – एलईडी और प्लासमा पैनल।
    • नॉन एमिस्सीव डिस्प्ले (Non-Emissive displays) – इस तरह के डिस्प्ले सूर्य की रोशनी को इस्तेमाल करके ऑप्टिकल इफैक्ट की मदद से ग्राफिक पैटर्न में कैरक्टर को बदलने का काम करते हैं।

    उदाहरण – एलसीडी।

    2. प्रिंटर (printer in hindi)

    यह पन्नों पर जानकारी को छापने के काम में आता है।

    दो तरह के प्रिंटर होते हैं–

    1. इंपेक्ट प्रिंटर (impact printer)– यह रिबन की मदद से कैरक्टर को पन्नों पर छापने का काम करता है।

    इसकी कुछ विशेषताएँ इस प्रकार है:

    • यह ज्यादा महंगा नहीं होता।
    • इसकी आवाज़ थोड़ी ज्यादा होती है।
    • यह कम रकम में ज्यादा प्रिंट करने के काम में आता है।

       इंपेक्ट प्रिंटर दो तरह के होते है:

    • कैरक्टर प्रिंटर (character printer)– यह एक समय में केवल एक ही कैरक्टर को प्रिंट करता है। यह भी दो तरह के होते हैं – डॉट मैट्रिक्स और डेज़ी व्हील।

    डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (dot-matrix printer)– बाज़ार में सबसे लोकप्रिय प्रिंटर यही है। यह कम दाम में आसानी से प्रिंट कर देते हैं इसलिए यह काफी उपयोगी माने जाते हैं।

    जो भी कैरक्टर इसमे प्रिंट होता है वह बिन्दुओं और मैट्रिक्स के रूप में होता है। इसके कुछ फायदे है जैसे की यह सस्ता है, ज्यादा इस्तेमाल होता है और किसी भी भाषा को इसकी मदद से प्रिंट किया जा सकता है।

    इसके कुछ नुकसान भी हैं जैसे की इसकी गति कम है और इसकी क्वालिटी थोड़ी कम है।

    डेज़ी व्हील (daisy wheel printer)– इसमे पहिये की मदद से यह अंदर बाहर होता है और पिन की मदद से छापा जाता है। यह प्रिंटर ज़्यादातर शब्दों को छापने के लिए दफ़्तरों में काम आते हैं क्योंकि यह कुछ ही शब्द छापने के लिए इस्तेमाल होते हैं और उन्हे उच्च क्वालिटी के साथ छापते हैं।

    इसके कुछ फायदे हैं यह डॉट मैट्रिक्स से बेहतर है, इसकी क्वालिटी अच्छी होती है और इसमे फॉन्ट को आसानी से बदला जा सकता है। इसके कुछ नुकसान भी हैं वह हैं यह धीरे काम करता है, यह आवाज़ करता है और यह डॉट मैट्रिक्स से महंगा है।

    • लाइन प्रिंटर (line printer)– यह एक समय पर एक ही लाइन छापने का काम करता है। यह दो तरह के होते हैं – ड ्रम प्रिंटर और चैन प्रिंटर।

    ड्रम प्रिंटर (drum printer)– यह ड्रम के जैसे आकार का होता है। यह ट्रैकस में विभाजित होता है। जितना पन्नों का साइज़ होता है उतने ही इसमे ट्रैक होते हैं। 48,64 और 96 इस तरह के कैरक्टर सेट हमें बाज़ार में मिलते हैं। ड्रम का एक घुमाव एक लाइन को प्रिंट करता है। यह प्रिंटर एक मिनट में 300 से 2000 लाइन तक छापने का काम करता है।

    चैन प्रिंटर (chain printer)– इस तरह के प्रिंटर में चैन की तरह कैरक्टर इस्तेमाल होते हैं। इस तरह के कैरक्टर सेट में 48,64 और 96 कैरक्टर छापे जाते हैं। इसके कुछ फायदे हैं जैसे की इसमे फॉन्ट को आसानी से बदला जा सकता है और काफी भाषाओं में इसमे छापा जा सकता है। पर यह काफी आवाज़ करता है।

    • नॉन इंपेक्ट प्रिंटर (non-impact printer)– यह रिबन के बिना कैरक्टर को प्रिंट करने के काम में आता है। यह प्रिंटर एक समय पर एक पेज छाप देता है। इसलिए इन्हें पेज प्रिंटर भी बोला जाता है।

    इसकी कुछ विशेषताएँ हैं –

    • यह काफी तेज़ है।
    • इनमे इतनी आवाज़ नहीं होती।
    • इसकी क्वालिटी अच्छी है।
    • यह बहुत तरह के फॉन्ट इस्तेमाल करता है।

    यह प्रिंटर दो तरह के होते हैं –

    • लेजर प्रिंटर (laser printer)– यह लेजर लाइट की मदद से छपाई का काम करते हैं। इनके कुछ फायदे होते हैं जैसे की इनकी गति ज्यादा होती है, अच्छी ग्राफिक क्वालिटी होती है और यह काफी तरह के फॉन्ट इस्तेमाल कर सकता है। इसके कुछ नुकसान भी है जैसे की यह थोड़ा महंगा है और यह एक बार में बहुत ज्यादा प्रिंट करने में आसान नहीं होता।
    • इंक जेट प्रिंटर (inkjet printer)– यह एक नई तकनीकी पर बना हुआ प्रिंटर है। यह छोटी छोटी इंक की बुंदे छिड़क कर छपाई का काम करता है। यह उच्च दर्जे वाले प्रिंटरों में इस्तेमाल होता है। इसमे छपाई में आवाज़ भी कम होती है और इसमे बहुत तरह के डिज़ाइन छापने का विकल्प भी होता है।

    3. स्पीकर (speaker)– यह एक तरह का ध्वनि उपकरण होता है जो की गाने, रिकॉर्डिंग आदि में काम आता है। यह लैपटाप, एमपी3 प्लेयर आदि में भी इस्तेमाल होते हैं। आजकल तो स्पीकर ब्लुटूथ और यूएसबी की मदद से भी चलाने के काम में आते हैं।

    4. हैडफोन (headphone)– यह छोटे छोटे स्पीकर होते हैं जो की कान में लगाए जाते हैं गाने आदि सुनने के लिए। यह इलैक्ट्रिकल सिग्नल को बदलने में काम आता है। यह एमपी3 प्लेयर, कम्प्युटर, लैपटाप, आईपॉड आदि में लगाया जाता है जिससे की हम गाने आदि सुन सकें।

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    One thought on “आउटपुट उपकरण क्या हैं? उदाहरण, परिभाषा”

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