अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक अदालत में कुलभूषण जाधव केस की सुनवाई के पहले दिन भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हरीश साल्वे ने नई दिल्ली का पक्ष रखा और पाकिस्तानी विभाग से कुलभूषण जाधव की रिहाई की मांग की थी। इस मामले की सुनवाई 18 से 21 फरवरी तक चलेगी। 18 फरवरी की तारीख भारत को अपना पक्ष रखने के लिए तय था।
जाधव की गिरफ्तारी
भारतीय नागरिक और पूर्व नौसैन्य कर्मी कुलभूषण जाधव को कथित तौर पर 3 मार्च को पाक के बलूचिस्तान प्रान्त से गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तानी विभाग ने कुलभूषण जाधव पर जासूसी का आरोप लगाया और कराची व बलूचिस्तान में अशांति फैलाने वाली विध्वंशक गतिविधियों में लिप्त पाया था।
पाकिस्तान में इस मामले की सुनवाई सैन्य अदालत में चली और 10 अप्रैल 2017 को पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष ने जाधव की फांसी की सज़ा पर मोहर लगा दी थी। इसके बाद भारत ने मई 2017 में आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद कार्रवाई करते हुए आईसीजे ने 9, मई 2018 को कुलभूषण जाधव की सज़ा पर रोक लगा दी थी।
पाक का दावा
पाकिस्तान ने हिरासत में रखे कुलभूषण जाधव की वीडियो जारी कर दावा किया कि उसने पाकिस्तान में खतरनाक गतिविधियों में शामिल होने के गुनाह को कबूल किया है और उसकी मौत की सज़ा जल्द मुक्कमल होनी चाहिए।
भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने साल 1963 में हुई विएना संधि का उल्लंघन किया है। भारत ने जाधव तक राजनयिक पंहुच के लिए 13 बार आग्रह किया लेकिन पाकिस्तान ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया था। भारत के मुताबिक जाधव को ईरान से अगवा किया गया था, जहां वह नौसेना से रिटायर होने के बाद कारोबार के लिए गए थे और उनका सरकार को कोई लेना देना नहीं है।
पुलवामा में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी समर्थित आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। इसकी प्रतिक्रिया में भारत ने पाक से ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ यानी ‘कस्टम ड्यूटी में तरजीह देने वाले देश’, का दर्जा छीन लिया है।साथ ही भारत ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इसके तहत भारत ने 25 देशों के राजनयिकों से मुलाकात की और पी-5 देशों के समक्ष पाकिस्तान की असलियत भी रखी थी।