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bhanwar jitendra singh

अलवर लोकसभा क्षेत्र के गुरु गोथड़ी गांव में रहने वाले 27 वर्षीय शाकिर अली का मानना है कि मुस्लिम बहुल गांवों से होने वाला मतदान ही अलवर सीट का परिणाम निर्धारित करेगा।

शाकिर कहते हैं, “यदि हम बहरोड़ और मुंडावर के यादव वोट को मिला लेते हैं तो भंवर जितेन्द्र आसानी से जीत जायेंगे।”

पड़ोस के द्वारकापुर गांव में सज्जन सिंह का कहना है कि हालाँकि कांग्रेस का यहाँ का प्रत्याशी एक राजपूत है लेकिन फिर भी उनके गांव के राजपूत लोग बीजेपी को समर्थन कर रहे हैं।

उन्होनें कहा, “मैंने कभी महंत चाँद नाथ (पूर्व बीजेपी सांसद) को नहीं देखा है, मुझे नहीं पता है कि हम कभी महंत बालक नाथ हो भी देखेंगेम लेकिन फिर भी हम बीजेपी को वोट देंगे क्योंकि यह चुनाव मोदी को जिताने का है, ना कि किसी उम्मीदवार का।”

जाहिर है अलवर लोकसभा सीट पर 6 मई को मतदान होना है और यहाँ लड़ाई ‘बाहरी’ और क्षेत्रीय उम्मीदवार के बीच है। कांग्रेस के भंवर जितेन्द्र क्षेत्रीय नेता हैं, जबकि बीजेपी के महंत बालक नाथ बाहर के हैं।

जोधपुर और जयपुर पिछड़ा के बाद अलवर सीट को राजस्थान में सबसे नजदीक से देखना जा रहा है।

कांग्रेस के जितेन्द्र सिंह का कहना है, “साढ़े चार सालों में चाँद नाथ कभी अलवर नहीं आये हैं। लोग यहाँ पोस्टर लगाते हैं कि उनका सांसद गायब है। इस बार लोग उनपर विश्वास नहीं करेंगे क्योंकि वे जानते हैं कि यदि उन्हें जिताया तो वे कभी भी यहाँ वापस नहीं आयेंगे।”

भाजपा के बालक नाथ ‘बाहरी’ कहलाना पसंद नहीं करते हैं। वे कहते हैं, “मेरा जन्म बहरोड़ के एक गांव में हुआ था। कोई मुखे बाहर का कैसे बुला सकता है?”

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47 वर्षीय जितेन्द्र सिंह अलवर के शाही परिवार से हैं और उन्हें यहाँ ‘राजा’ कहकर बुलाया जाता है। दूसरी ओर, 35 वर्षीय बालक नाथ हरियाणा के रोहतक में स्थिति मस्तनाथ मठ के महंत हैं। अलवर में लोग उन्हें ‘बाबाजी’ कहकर बुलाते हैं।

इलाके के एक स्कूल अध्यापक राजेन्द्र मीणा का कहना है, “उन्हें ढूँढने हम हरियाणा में कहाँ जायेंगे? भंवर साहब यहीं के हैं और जब हमें उनकी जरूरत होगी, वे यहाँ उपस्थिति होंगे।”

जब उनसे पूछा गया कि क्या ये चुनाव मोदी के लिए नहीं है क्या, तो उन्होनें कहा, “हमें एक सांसद चाहिए। प्रधानमंत्री अलवर के लिए कुछ भी नहीं करेंगे।”

भिवाड़ी रोड स्थिति शालीमार गार्डन कॉलोनी के गगन गुप्ता का कहना है, “मैं ज्यादा राजनीति नहीं समझता हूँ लेकिन यह जानता हूँ कि मोदी नें देश के लिए अच्छा किया है।”

गगन के पिता हालाँकि कांग्रेस के समर्थन में हैं। उनका मानना है कि नोटबंदी की वजह से उनके जैसे व्यापारियों को काफू नुकसान हुआ है।

अलवर का राजनैतिक परिपेक्ष

अलवर एक यादव बहुल इलाका है। यहाँ करीबन 17 फीसदी मतदाता यादव हैं, जबकि एससी वर्ग और मुस्लिम मतदाता करीबन 12 फीसदी हैं।

बालक नाथ यादव हैं और यादव बहुल इलाके जैसे बहरोड़, मुण्डावर और किशनगढ़ बास के इलाकों में उनकी पकड़ मजबूत है।

अलवर लोकसभा सीट में 8 राज्यसभा सीटें हैं – तिजारा, किशनगढ़ बास, मुंडावर, बहरोड़, अलवर अर्बन, अलवर पिछड़ा, रामगढ़ और राजगढ़-लक्षमणगढ़।

पिछले साल दिसम्बर में हुए चुनावों में कांग्रेस नें यहाँ तीन सीटें और भाजपा और बसपा नें दो-दो सीटें जीती थी। एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार नें जीती थी।

वर्तमान में तीन राज्यसभा सीटों – बहरोड़, मुंडावर और किशनगढ़ बास में बीजेपी आगे दिख रही है, जबकि अन्य चार राज्यसभा सीटों पर कांग्रेस आगे दिख रही है।

बसपा नें यहाँ इमरान खान को उतारा है, जो पहले लग रहा था कि कांग्रेस के वोट काटेंगे, लेकिन अब उन्हें इतनी अहमियत नहीं दी जा रही है।

हालाँकि बीजेपी के कुछ नेता जिनमें एक विधायक भी शामिल हैं, वे जितेन्द्र सिंह का समर्थन कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें क्षेत्रीय नेता चाहिए।

जितेन्द्र सिंह की माताजी महेंद्र कुमारी 1991 में अलवर से भाजपा की सांसद थी। इसके बाद उन्होनें 1998 में निर्दलीय के रूप में और 1999 में कांग्रेस की सीट से चुनाव लड़ा।

2009 में जितेन्द्र सिंह यहाँ से सांसद बने थे। इससे पहले वे दो बार अलवर से विधायक चुने जा चुके हैं।

महंत चाँद नाथ, बालक नाथ के गुरु, नें दो बार लोकसभा चुनाव लड़ा था। 2004 में वे कांग्रेस के करण सिंह यादव से 8,371 वोटों से हार गए थे लेकिन 2014 में उन्होनें 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी।

By पंकज सिंह चौहान

पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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