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    सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा (सेवानिवृत्त) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(एनएचआरसी) के अध्यक्ष के रूप में आज अपना पदभार संभाला। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने उनके नाम को मंजूरी दी थी। एनएचआरसी के अध्यक्ष का पद पिछले छह महीने से खाली था।

    जस्टिस अरुण मिश्रा ने 1978 में एक वकील के रूप में काम शुरू किया। वह 1998-99 में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष चुने गए। जस्टिस मिश्रा आज ने अपना पदाभार संभाला है। जस्टिस एचएल दत्तू के पिछले साल दिसंबर में रिटायर होने के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष पद बीते छह माह से खाली था।

    अरूण कुमार मिश्रा को अक्टूबर 1999 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। बाद में उन्होंने 7 जुलाई 2014 को सर्वोच्च न्यायालय में पद संभालने से पहले राजस्थान उच्च न्यायालय और कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया।

    जस्टिस मिश्रा के नाम की सिफारिश पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा के उपसभापति, हरिवंश, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के पैनल ने की थी। नियुक्ति समिति ने भी मानवाधिकार पैनल के प्रमुख के लिए पूर्व एससी न्यायाधीश अरुण कुमार मिश्रा के नाम की सिफारिश की थी। जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस महेश कुमार मित्तल और आईबी के पूर्व निदेशक डॉ राजीव जैन को एनएचआरसी का सदस्य बनाया गया है।

    इस दौरान कांग्रेस नेता खड़गे ने सुझाव दिया था कि चूंकि एनएचआरसी में अधिकांश शिकायतें दलित, आदिवासी या अल्पसंख्यक समुदायों से जुड़ी होती हैं, इसलिए आयोग में इन समुदायों का कम से कम एक प्रतिनिधि होना चाहिए। इसे नहीं माने जाने पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपना विरोध दर्ज कराया।

    सोमवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर आयोग के नए अध्यक्ष एवं सदस्यों का चयन करने वाली नियुक्ति समिति की बैठक के दौरान खड़गे ने इन पदों पर नियुक्ति के लिए नामों के पैनल की सिफारिश किए जाने से संबंधित समिति के फैसले पर अपना विचार रखा था।

    खड़गे ने अपने पत्र में कहा, मैंने आज की बैठक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचारों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यकों से संबंधित कम से कम एक व्यक्ति को नियमों के तहत आयोग का अध्यक्ष या सदस्य नियुक्त किए जाने का प्रस्ताव किया था।

    कांग्रेस नेता ने प्रस्ताव रखा था कि यदि फिलहाल यह संभव नहीं है तो नियुक्ति समिति की बैठक को एक सप्ताह के लिए टाला जा सकता है और बाद में इन वर्गों के उम्मीदवारों के नाम प्रस्तावित किए जा सकते हैं। खड़गे ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि समिति ने उनके एक भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया है, ऐसे में वह खुद को इस प्रक्रिया से अलग करते हैं।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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