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    अयोध्या मामले ,सुप्रीम कोर्ट

    बाबरी मस्जिद विध्वंश के 25 वे वर्षगाँठ के ठीक एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। कोर्ट में इसकी अगली सुनवाई 8 फरवरी 2018 को होगी। सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधि कपिल सिब्बल ने अयोध्या मामले की सुनवाई 2019 तक टालने के लिए कही है। वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पूरी दस्तावेज मांग करने की बात की है।

    वही सुन्नी वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधि कपिल सिब्बल ने मांग की है कि इस मामले की सुनवाई 5 से 7 जजों की बेंचो को 2019 के आम चुनाव के बाद करनी चाहिए। सिब्बल का कहना था कि जब भी इस मामले पर सुनवाई होती है तो बाहर इसके गंभीर प्रतिक्रिया देखने को मिलती है। इसलिए यह मामला अब राजनीतिक रूप ले चूका है इसलिए सुनवाई की तारीख 2019 तक होनी चाहिए। सिब्बल ने कहा कि रिकार्ड के अनुसार दस्तावेज अभी अधूरे है। कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने सुनवाई को लेकर आपत्ति जताते हुए इसका बहिष्कार करने की बात कही है।

    सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि अयोध्या मामला एनडीए का चुनावी एजेंडा है। उनके घोषणा पत्र का हिस्सा है इसलिए 2019 के आम चुनाव के बाद ही इसको लेकर सुनवाई होनी चाहिए। सिब्बल ने कहा कि 2019 तक इस सुनवाई को टाला जाना चाहिए। इसके जवाब में यूपी सरकार की ओर से पेश हुए तुषार मेहता ने कहा कि जब पूरा दस्तावेज सुन्नी वक्फ बोर्ड के ही है तो उसे दूसरे भाषा में अनुवाद करने की क्या जरुरत है? शीर्ष अदालत इसपर निर्णायक सुनवाई कर रही है। इस मामले पर रोजाना सुनवाई होना है। वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि अगर कोर्ट इस मामले में सोमवार या शुक्रवार तक फैसला दे देती है तो भी इस मामले को पूरी तरह निपटने में एक साल लग जायेगा।

    वहीं रामलला का पक्ष रख रहे हरीश साल्वे ने कोर्ट में बड़ी बेंच का बनाने का विरोध किया और कहा कि कोर्ट को बाहर चल रहे राजनितिक मामलो पर ध्यान नहीं देना चाहिए। अयोध्या से दिल्ली पहुंचे रामलाल विरजमान की ओर से महंत धर्मदास ने दवा किया कि सभी सबूत, रिपोर्ट और भावनाये रामलला के पक्ष में है। उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले पर कहा कि कोर्ट ने जमीन बटवारा कर हमारे साथ उचित न्याय नहीं किया है।

    महंत धर्मदास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हमारा यह दवा होगा कि इस जमीन पर सबसे पहले मंदिर था, लेकिन जबरन मस्जिद बनवाई गई थी। लेकिन बाद में वहा मंदिर की तरह पूजा होती रही है अब वही जगह रामजन्मभूमि है। महंत ने कहा कि कोर्ट सबूत और कानून को देख्ग्ते हुए न्याय करता है जबकि दोनों हमारे साथ है।

    लेकिन वहीँ कोर्ट ने इस मामले को में सुनवाई को 8 फ़रवरी 2018 तक टाल दिया है।