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    आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि भारत इस सप्ताह दिल्ली में दो उच्च स्तरीय खुफिया प्रतिनिधिमंडलों के साथ अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर बैठक में शामिल होगा। यह प्रतिनिधिमंडल मास्को और वाशिंगटन से भारत आये हैं। हालाँकि दोनों प्रतिनिधिमंडलों से एक साथ बैठक नहीं होगी।

    अमेरिका की केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) के प्रमुख विलियम बर्न्स के नेतृत्व में खुफिया और सुरक्षा अधिकारियों का एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत और पाकिस्तान सहित इस क्षेत्र का दौरा कर रहा है। ज्ञात हुआ है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ परामर्श किया है। एनएसए अजीत डोभाल ने मंगलवार को अफगानिस्तान को खाली कराने के प्रयास और तालिबान सरकार के गठन से उत्पन्न कई मुद्दों पर चर्चा की।

    विदेश मंत्रालय ने घोषणा की कि बुधवार को सुरक्षा परिषद के रूसी सचिव जनरल निकोले पेत्रुशेव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात करेंगे। साउथ ब्लॉक में अमेरिकी और रूसी अधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठकें तब हो रहीं हैं जब तालिबान ने मोहम्मद हसन अखुंद और अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व में उप प्रधान मंत्री के रूप में एक अंतरिम सरकार की घोषणा की है। यह बैठकें आगामी शिखर सम्मेलनों को देखते हुए भी महत्वपूर्ण हैं कि प्रधान मंत्री मोदी एससीओ और क्वाड संरचनाओं में भाग लेंगे, जहां रूस और यू.एस. क्रमशः प्रमुख भूमिका निभाते हैं, और दोनों से अफगानिस्तान में भविष्य के पाठ्यक्रम पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है।

    2008 से सुरक्षा परिषद के सचिव रहे और इससे पहले रूसी ख़ुफ़िया एजेंसी एफ़एसबी का नेतृत्व करने वाले सर्वोच्च रैंक के रूसी सुरक्षा अधिकारी जनरल पेत्रुशेव की यात्रा 24 अगस्त को प्रधान मंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए एक कॉल के बाद हुई। तालिबान द्वारा काबुल पर नियंत्रण का दावा करने के कुछ दिनों बाद इस बैठक को एक महत्वपूर्ण दृष्टि से देखा जा रहा है।

    एक राजनयिक सूत्र ने कहा कि जनरल पत्रुशेव की बैठक से भारत और रूस को अफगानिस्तान में बदलती स्थिति पर “दृष्टिकोणों के आदान-प्रदान” करने का मौका मिलेगा।

    यह यात्राएं इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे “ट्रोइका-प्लस” तंत्र में समन्वय के दो साल से अधिक समय के बावजूद अफगानिस्तान पर अमेरिका और रूसी पदों के बीच बढ़ते मतभेदों के समय हो रह हैं। इस “ट्रोइका-प्लस” तंत्र में चीन और पाकिस्तान भी शामिल हैं। पिछले हफ्ते रूस ने अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 के माध्यम से जल्दबाजी करने का आरोप लगाया था। इस सत्र की की अध्यक्षता भारत ने की थी।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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